भोपाल। गैस पीड़ित विधवा महिलाओं को लेकर प्रदेश सरकार ने बड़ा एलान किया है. पीड़ित महिलाओं को सरकार अब फिर से एक हजार रुपए मासिक पेंशन देने का फैसला लिया है. सीएम शिवराज ने आश्वासन दिया है कि गैस पीड़ितों के पुनर्वास के लिए समुचित उपाए किए जाएंगे.
#BhopalGasTragedy विधवा बहनों की पेंशन जारी रहेगी। 1984 की वह रात आज भी नहीं भूलती जब हमारा शहर जिन्दा लाशों के ढेर में तब्दील हो गया था। यह विचार करना होगा कि भौतिक प्रगति की दौड़ में हम किस दिशा में जा रहे हैं? प्रगति की दौड़ धरती पर जीवन के अस्तित्व को ही खतरे में डाल रही है। pic.twitter.com/LIybCWbTF5
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 3, 2017
विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाये रखना जरूरी है। विकास के नाम पर पर्यावरण को प्रदूषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना होगी। #BhopalGasTragedy के सभी प्रभावितों के इलाज और पुनर्वास के प्रयास लगातार जारी हैं। संकल्प लें कि अब ऐसी कोई त्रासदी दोबारा नहीं होने देंगे। pic.twitter.com/LHOcA1ugS9
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 3, 2017
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विश्व की सबसे बड़े औद्योगिक त्रासदी में शुमार भोपाल गैस कांड के 33 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड कारखाने में 346 टन जहरीला कचरा मौजूद है। इसे नष्ट करने का निर्णय ही नहीं हो पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इंदौर के पास पीथमपुर में 10 टन कचरे का निष्पादन प्रयोग के बतौर किया गया, लेकिन इस कवायद का पर्यावरण पर कितना दुष्प्रभाव हुआ इसकी रिपोर्ट का खुलासा होना बाकी है। बचे हुए जहरीले कचरे को कैसे ठिकाने लगाया जाए, इसे लेकर सरकार धर्मसंकट में है ।
#BhopalGasTragedy की 33वीं आज दु:खद बरसी है। अन्तर्मन पीड़ा से भरा हुआ है। इस दु:खद घटना में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। विकास की अंधी दौड़ के कारण ही ऐसी त्रासदियों का जन्म होता है। इसलिए विकास और पर्यावरण में संतुलन आवश्यक है। pic.twitter.com/P16l1TeQvV
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 3, 2017
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जर्मनी भेजने का प्रस्ताव भी आया था लेकिन जर्मन नागरिकों ने इसका विरोध कर दिया। इसलिए मामला अटक गया। इस तरह के केमिकल को 2 हज़ार डिग्री से अधिक तापमान पर जलाया जाता है। पूरे मामले पर गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग का कहना है की ये मामला बेहद पेचीदा और संवेदनशील है।
तीन दशक पूर्व वर्ष 1984 की 2 और 3 दिसंबर की दरम्यानी रात हुई दुनिया की सबसे दुखद औद्योगिक गैस त्रासदी में काल कवलित हुए नागरिकों के प्रति गहरी संवेदनाएं..
भावपूर्ण श्रद्धांजलि pic.twitter.com/zEVTD3szr4
— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) December 3, 2017
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सरकार की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से चर्चा चल रही है और इस बारे निर्णय केंद्र को ही करना है। विश्वास सारंग का कहना है की प्रदेश सरकार के पास जहरीला कचरा निपटाने की तकनीक और विशेषज्ञ नहीं हैं।
वेब डेस्क, IBC24
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