मेडिकल साइंस का चमत्कार, मृत महिला के गर्भाशय से स्वस्थ बच्ची का जन्म, इतिहास में पहली बार | Birth of a healthy baby from the uterus of the dead woman

मेडिकल साइंस का चमत्कार, मृत महिला के गर्भाशय से स्वस्थ बच्ची का जन्म, इतिहास में पहली बार

मेडिकल साइंस का चमत्कार, मृत महिला के गर्भाशय से स्वस्थ बच्ची का जन्म, इतिहास में पहली बार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : December 5, 2018/7:20 am IST

ब्राजील। यूटरस की समस्या से बच्चे जन्म देने में अक्षम महिलाओं के लिए अच्छी खबर है। विज्ञान का चमत्कार ही कहेंगे एक मृत महिला के गर्भाशय से स्वस्थ बच्ची का जन्म हुआ है। मेडिकल हिस्ट्री में यह पहली बार हुआ है जब गर्भाशय पीड़ित गर्भवती महिला में एक मृत महिला का गर्भाशय सफलता पूर्वक प्रत्यारोपण किया गया जिसके बाद महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है।

ब्राजील में यह ऑपरेशन दो साल पहले किया गया था, लेकिन इस बात की जानकारी अभी सामने आई। लेंसेट जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि अब यूटरस की समस्या से जूझ रही महिलाओं को इससे मदद मिल सकेगी। यूटरस प्रत्यारोपण के बाद मां ने सितंबर 2016 में बच्ची को जन्म दिया था। अब तक यूटरस की परेशानी से जूझ रही महिलाओं के पास गोद लेने या सरोगेट (किराए की कोख) मां का ही विकल्प था।

2013 में स्वीडन में पहली बार जीवित महिला का गर्भाशय प्रत्यारोपित किया गया था। इसके बाद से अब तक 10 बार ऐसा हो चुका है। जीवित महिला से गर्भाशय मिलना काफी मुश्किल होता है। लिहाजा डॉक्टर ऐसी प्रक्रिया की खोज में थे जिससे मृत महिला का यूटरस इस्तेमाल किया जा सके।

ब्राजील में कामयाब ऑपरेशन के पहले अमेरिका, चेक रिपब्लिक और तुर्की में मृत महिला के गर्भाशय प्रत्यारोपण के 10 प्रयास किए गए। वैज्ञानिकों के मुताबिक- इनफर्टिलिटी 10-15% जोड़ों को प्रभावित करती है। 500 में से एक महिला को गर्भाशय की संरचना, गर्भाशयोच्छेदन (हिस्टेरेक्टॉमी) और संक्रमण होता है, जिसकी वजह से उसे गर्भधारण में परेशानी होती है।

32 वर्षीय महिला दुर्लभ सिंड्रोम की वजह से बिना गर्भाशय के पैदा हुई थी। प्रतिरोपण के चार महीने पहले उसमें इन-विट्रो निषेचन किया गया जिससे आठ निषेचित अंडे प्राप्त हुए। इन्हें फ्रीज करके संरक्षित रखा गया। गर्भाशय दान करने वाली महिला 45 साल की थी। उसकी ब्रेनडेड की वजह से मृत्यु हुई थी। उसका गर्भाशय ऑपरेशन के जरिये निकाला गया और दूसरी महिला में प्रतिरोपण किया गया। यह ऑपरेशन 10 घंटे से अधिक समय तक चला। ऑपरेशन करने वाले दल ने दाता के गर्भाशय को जिस महिला में उसका प्रतिरोपण किया गया उसकी धमनी, शिराओं, अस्थिरज्जु और वेजाइनल कैनाल से जोड़ा गया।

महिला का शरीर नये अंग को अस्वीकार नहीं कर दे इसके लिये उसे पांच अलग-अलग तरह की दवाएं दी गईं। पांच महीने बाद गर्भाशय ने अस्वीकार किये जाने का संकेत नहीं दिया। इस दौरान महिला का अल्ट्रासाउन्ड सामान्य रहा और महिला को नियमित रूप से माहवारी आती रही। सात महीने के बाद निषेचित अंडों का प्रतिरोपण किया गया। दस दिन बाद चिकित्सकों ने खुशखबरी दी कि महिला गर्भवती है। गुर्दे में मामूली संक्रमण के अलावा 32 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान सबकुछ सामान्य रहा। करीब 36 सप्ताह के बाद ऑपरेशन के जरिये महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। जन्म के समय बच्ची का वजन ढाई किलोग्राम था।