नोटबंदी ने रायपुर को हंसाया कम ,रुलाया ज्यादा | Demonetisation an ambitious undertaking that made common man and Raipur helpless

नोटबंदी ने रायपुर को हंसाया कम ,रुलाया ज्यादा

नोटबंदी ने रायपुर को हंसाया कम ,रुलाया ज्यादा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : November 7, 2017/1:53 pm IST

नवम्बर 2016 के दिन मोदी सरकार ने अचानक नोटबंदी का फैसला ले लिया ये किसी भी भारतीय  के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी. इस नोटबंदी ने राजा को रंक बना दिया तो कई कई रंक रातों  रात राजा भी बने। छत्तीसगढ़ में भी नोट बंदी के दौरान कई उतर चढ़ाव आये।लोगों ने अपने पैसे को नंबर एक बनाने के लिए रात से बैंक के सामने लंबी लाइन में खड़े हो जाते थे इस दौरान कई बार लोगों के बीच में मारपीट की स्थिति भी निर्मित हुई। यही नहीं मंदिरों में दिए जानेवाले दान पर जब प्रभाव पड़ने लगा तो  छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थित बंजारी  मंदिर में  दान देने वाले श्रद्धालुओं को  स्वाइप मशीन की सुविधा भी दी गई जो आज तक इस्तमाल की जा रही है। दरअसल इस मंदिर में नोटबंदी के बाद चढ़ावा कम हो गया था, लिहाजा मंदिर प्रबंधन ने इसका उपाय ढूंढा और स्वाइप मशीन लगा दी जिसके जरिए मंदिर में आने वाले श्रद्धालु दान दे सकेंगे।इतना ही नहीं नगर निगम के अंतर्गत आने वाले बहुत से मकान जिनका सालों साल टेक्स नहीं पटा था उन मकानों का भी आगे तक का टेक्स क्लियर हो गया।लोगों ने अपने पैसे का सदुपयोग करने के लिए कई पैंतरे खेले जिनमे एडवांस स्कूल फीस, बिजली बिल का बकाया भुगतान ,पेट्रोल पम्प में ओवर टेंक पेट्रोल और क्या क्या नहीं किया। आज 8 नवम्बर 2017 है  मोदी सरकार की नोटबंदी को एक साल पूरा हो गया है। आज हम छत्तीसगढ़ के लोगों से जानना चाहेंगे की कैसा रहा नोटबंदी का एक साल?
चार्टेड अकॉउंटेड प्रशांत बिसेन कहते हैं की नोटबंदी से सरकार को फायदा हुआ, सारे पैसे बैंक में आ गए जिससे सरकार के पास रेवेंन्यु बढ़ गया। लेकिन आम नागरिक को इस सब से कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि उसे नुकसान ही हुआ। अब उनके पास पैसा तो है लेकिन उसको वो सही प्रूफ नहीं कर पा रहे। टर्न ओवर में देखा जाये तो लोगों के पास पैसा तो है लेकिन उसे लोग एक नंबर में दिखा नहीं पा रहे हैं। ओवर ऑल देखा जाये तो आम नागरिक के लिए नोटबंदी  मुसीबत साबित हुई ।
छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष  रुपेश डी दीक्षित कहते हैं की मेरे विचार से नोटबंदी का फैसला लेना ही गलत था किसी निर्णय को लेने से पहले जो प्रॉपर प्रक्रिया होती है उसे पूरा नहीं किया गया और रातों रात जो घोषणा की गई इससे आम जनता को सिर्फ तकलीफ ही हुई। मोदी सरकार ने जिस काला धन को निकालने के लिए ये फैसला लिया था वह उनकी निति के ठीक उल्टा बैठा धनाढ़य वर्ग इस दौर में भी लाइन पर खड़ा नहीं दिखा। मध्यम  और निम्न वर्ग के लोग सिर्फ एक हजार रूपए निकालने के लिए घंटो लाइन पर खड़े रहे जिससे ये समझ आता है कि ये जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला था।

सामाजिक कार्यकर्ता अरुण भद्रा कहते हैं कि मेरी नज़र में नोटबंदी छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए सिर्फ नुकसान ही लेकर आई जिससे हमारा प्रदेश आज भी उभर नहीं पाया है। तत्काल निर्णय लेकर हड़बड़ी में किया गया फैसला है जिससे  भारतीय अर्थव्यवस्था भी चरमराई है। अगर साल भर की स्थित पर गौर करेंगे तो ये बात साफ नज़र आती है कि गरीब और गरीब हो गया है।