Dhar Lok Sabha Elections 2019 : क्या कहती है धार की सियासी फिजा, कांग्रेस के हाथ आएगी सत्ता या धार की धरा में खिलेगा कमल | Dhar Lok Sabha Elections 2019 : Dhar Lok sabha Constituency : BJP VS Congress

Dhar Lok Sabha Elections 2019 : क्या कहती है धार की सियासी फिजा, कांग्रेस के हाथ आएगी सत्ता या धार की धरा में खिलेगा कमल

Dhar Lok Sabha Elections 2019 : क्या कहती है धार की सियासी फिजा, कांग्रेस के हाथ आएगी सत्ता या धार की धरा में खिलेगा कमल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : May 15, 2019/6:30 am IST

 

धार। देश में लोकसभा चुनाव अंतिम पड़ाव पर है। मध्यप्रदेश सहित देश में 19 मई को सातवें और अंतिम चरण की वोटिंग होगी। बात करें धार की सियासत की तो पिछले तीन चुनाव के नतीजों में यहां की जनता ने किसी एक पार्टी को लगातार दूसरी बार नहीं चुना है। 2019 के समर में भाजपा बड़ा उलटफेर किया है, मौजूद सांसदा सावित्री ठाकुर की जगह छतरसिंह दरबार को टिकट दी गई है। उनका मुकाबला कांग्रेस के दिनेश गरवर से है। 2014 के चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर कांग्रेस के उमंग सिंघर को मात देकर यहां की सांसद बनीं थी।

धार लोकसभा में आतीं है ये सीटें

धार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। सरदारपुर, मनवार, बदनावर, गंधवानी, धर्मपुरी, डॉ. अंबेडकरनगर-महू, कुकशी, धार यहां की विधानसभा सीटें हैं. यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी का कब्जा है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

धार लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। पहले चुनाव में यहां पर भारतीय जनसंघ के भारत सिंह को जीत मिली। इसके अगले 2 चुनावों में भी भारत सिंह जीतने में कामयाब रहे।

कांग्रेस ने पहली बार 1980 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की और इसके अगले 3 चुनाव में यहां पर ‘हाथ’ का ही कब्जा रहा। 1996 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के छत्तर सिंह ने कांग्रेस के सुरजभान सिंह को हराया। बता दें कि सुरजभान सिंह इससे पहले 1989 और 1991 के चुनाव में जीत हासिल किए थे।

सामाजिक ताना-बाना

धार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मध्य प्रदेश का महत्‍वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है। इस प्राचीन शहर को परमार राजा भोज ने बसाया था। बेरन पहाड़ियों से घिरे इस इस क्षेत्र को झीलों और हरे-भरे वृक्षों ने खूबसूरत बना रखा है। यहां अनेक हिन्दू और मुस्लिम स्मारक आज भी मौजूद हैं। एक जमाने में मालवा की राजधानी रहे इस क्षेत्र में धार किला और भोजशाला मंदिर यहां के पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। मालवा क्षेत्र में आने वाला यह शहर विंध्यांचल पहाडि़यों और नर्मदा घाटी से घिरा है। बाग नदी के किनारे स्थित गुफाएं ऐतिहासिक हैं। यहां पर 5वीं और 6वीं शताब्दी की चित्रकला है।

2011 की जनगणना के मुताबिक धार की जनसंख्या 25,47,730 है. यहां की 78.63 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है और 21.37 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। धार में अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या ज्यादा है। यहां की 51.42 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है और 7.66 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है।

चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर कुल 16,68,441 मतदाता थे। इनमें से 8,10,348 महिला मतदाता और 8,58,093 पुरुष मतदाता थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 64.54 फीसदी मतदान हुआ था।

लोकसभा चुनाव 2009 का जनादेश

2009 में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की और गजेंद्र सिंह ने बीजेपी के मुकाम सिंह को मात दे दी। फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और सावित्री ठाकुर यहां की सांसद हैं। देखा जाए तो इस सीट पर बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। कांग्रेस को यहां 7 बार जीत मिली तो बीजेपी को 3 बार।

इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह को जीत मिली थी. उन्होंने बीजेपी के मुकाम सिंह को हराया था. गजेंद्र सिंह को 3,02,660(46.23 फीसदी) वोट मिले थे तो मुकाम सिंह को 2,99,999( 45.82फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर सिर्फ 2661 वोटों का था. वहीं बसपा के अजय रावत 2.46 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे.

लोकसभा चुनाव 2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी की सावित्री ठाकुर ने कांग्रेस के उमंग सिंघर को मात दी थी। सावित्री ठाकुर को 5,58,387(51.86 फीसदी) वोट मिले थे। उमंग सिंघर को 4,54,059(42.17 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 1,04,328 वोटों का था। बसपा के अजय रावत 1.36 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर थे।

 

 

 
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