रायपुर। शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है।
पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि मान्यता के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गण + पति = गणपति। संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक। ‘पति’ अर्थात स्वामी, ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकों के स्वामी। गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।
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गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था, इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है। गणेशजी की प्रतिमा को फूल-मालाओं से सजाकर उन्हें रोली का तिलक लगाना चाहिए। इसके बाद विभिन्न सामग्रियों जैसे- फूल, धूप, दीप, कपूर, रोली, चंदन, मोदक आदि द्वारा भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
गणेश हिन्दुओं के आदि आराध्य देव है। हिन्दू धर्म में गणेश को एक विशष्टि स्थान प्राप्त है। कोई भी धार्मिक उत्सव हो, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव हो, निर्विध्न कार्य सम्पन्न हो इसलिए शुभ के रूप में गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है.
दोपहर के समय अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।इस प्रकार से विधिपूर्वक पूजन करने से गणेश भगवान प्रसन्न हो जाते है तथा व्यक्ति के सारे कष्ट हर लेते हैं। श्रीगणेश चतुर्थी की यह पूजा दीर्घायु, आरोग्यता, सफलता, सुख- समृद्धि और धन-ऐश्वर्य बढ़ाने वाली होती है।
इस प्रकार से विधिपूर्वक पूजन करने से गणेश भगवान प्रसन्न हो जाते है तथा व्यक्ति के सारे कष्ट हर लेते हैं। श्रीगणेश चतुर्थी की यह पूजा दीर्घायु, आरोग्यता, सफलता, सुख- समृद्धि और धन-ऐश्वर्य बढ़ाने वाली होती है।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = 12 सितम्बर, 2018 की शाम 06:07 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = 13 सितम्बर, 2018 को दोपहर 02:51 बजे
राहुकाल –13 सितम्बर, 2018 को 13:31 से 15:03 बजे तक
यम घंट – दिन को 05:51 से 07:23 बजे तक …
गणेश चतुर्थी क्या न करें?
– गणेश चतुर्थी की रात चंद्र दर्शन न करें
– चंद्र दर्शन करने से चोरी का आरोप लग सकता है
– चंद्र दर्शन हो जाने पर “शमंत कोप” की कथा का श्रवण करें
गणपति क्या ना चढ़ाएं
– गणपति पर तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए
गणपति को क्या है प्रिय?
– गुड़हल का लाल फूल
– चांदनी, चमेली या पारिजात के फूल
– मोदक, दूबी, हरी इलायची
– लाल वस्त्र, लाल फूल, रक्तचंदन
दूर्वा अर्पण से लाभ
– नंदी को गुड़ संग दूर्वा खिलाने से रुका धन प्राप्त होता है
– गणपति पूजन में दूर्वा महापुण्यदायी
– गणपति को दूर्वा अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं
वास्तु स्वरूप हैं गणपति
– नियमित गणपति आराधना से दूर होता है वास्तु दोष
– मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाएं
– दीवार की दूसरी तरफ ठीक उसी जगह एक और गणपति की प्रतिमा या चित्र लगाएं
– भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो, उस जगह घी मिश्रित सिंदूर से दीवार पर स्वास्तिक बनाएं
– घर या कार्यस्थल पर गणपति का मुख दक्षिण या नैऋत्य कोण में नहीं होना चाहिए
– घर या कार्यस्थल में खड़े गणपति का चित्र लगाएं
– गणपति के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करना चाहिए
परिवार में बढ़ेगी शांति
– सफेद चावल के गणपति बनाकर उनका शीश लाल चावल से बनाएं
– आम की लकड़ी के आसन पर बैठाएं
– “ह्रीं ब्रह्म स्तुताये नम:” मंत्र जपें
विद्यार्थियों को लाभ होगा
– हरी खड़ी मूंग, गुड़ से गणपति बनाएं
– बुद्धि और निर्णय संबंधी समस्याएं दूर होंगी
– “शूर्प कर्णाए नम:” मंत्र जपें
शारीरिक कष्ट में आएगी कमी
– लाल चंदन को पीसकर गणेश जी बनाएं
– लाल आसन पर स्थापित करें
– “रक्त लम्बोदराय नम:” मंत्र जपें
आर्थिक कष्ट होगा दूर
– गाय के गोबर से गणपति बनाएं
– नियमित पूजन करें
– “ब्रह्म वित्तमाये नम:” मंत्र जपें
राशि अनुसार करें उपाय
मेष राशि – मेष राशि के जातकों को वक्रतुण्ड रूप में गणेश जी की आराधना करनी चाहिए और गणपति को गुण के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
वृष राशि – वृष राशि के जातक गणेशजी के शक्ति विनायक रूप की आराधना करें और गणपति को घी में मिश्री मिलाकर भोग लगाएं।
मिथुन राशि – मिथुन राशि वाले जातक गणेशजी की आराधना लक्ष्मी गणेश के रूप में करें और गणेशजी को मूंग के लड्डू का भोग लगाएं।
कर्क राशि – कर्क राशि वाले जातक वक्रतुण्ड रूप में गणेशजी की पूजा करें और उन्हें मक्खन, खीर का भोग लगाएं।
सिंह राशि – सिंह राशि वाले जातक लक्ष्मी गणेश रूप में गणेशजी की पूजा करें और गणपति को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
कन्या राशि – कन्या राशि के जातक गणेशजी के लक्ष्मी गणेश रूप का पूजन करें और भगवान गणेश को मूंग की दाल के लड्डू का भोग लगाएं।
तुला राशि – तुला राशि जातक वक्रतुण्ड रूप में गणेशजी की पूजा करें और पूजा के समय गणेशजी को 5 नारियल का भोग लगाएं।
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि वाले जातक वेतार्क गणेश रूप की पूजा करें और गणपति को बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं।
धनु राशि – धनु राशि के जातक ॐ गं गणपते मंत्र का जाप करें और गणेश जी को बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं।
मकर राशि – मकर राशि के जातक गणेश चतुर्थी के दिन शक्ति विनायक गणेश की आराधना करें और तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं।
कुंभ राशि – कुंभ राशि के जातक भी शक्ति विनायक गणेशजी की पूजा करें और गणपति को हरे फलों का भोग लगाएं।
मीन राशि – मीन राशि वाले जातक हरिद्रा गणेश की पूजा करें, पूजा के दौरान शहद और केसर का भोग लगाएं।
वेब डेस्क, IBC24
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