जनता मांगे हिसाब: साजा की जनता ने जिम्मेदारों से मांगा हिसाब | IBC24 Special:

जनता मांगे हिसाब: साजा की जनता ने जिम्मेदारों से मांगा हिसाब

जनता मांगे हिसाब: साजा की जनता ने जिम्मेदारों से मांगा हिसाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : April 17, 2018/9:47 am IST

IBC24 के खास कार्यक्रम जनता मांगे हिसाब में साजा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने IBC24 की चौपाल में प्रमुखता से अपनी आवाज उठाई, आइए साजा क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं और वहां के मुद्दों से आपको रूबरू कराते हैं-

साजा विधानसभा की भौगोलिक स्थिति-

बेमेतरा जिले में आती है विधानसभा

1967 में अस्तित्व में आई साजा सीट

जनसंख्या- 2लाख 20 हजार104

कुल मतदाता- 1लाख 41हजार709 

पुरुष मतदाता- 72हजार11

महिला मतदाता- 69हजार698

टमाटर की खेती के लिए मशहूर

प्रचुर मात्रा में मिलता है डोलोमाईट पत्थर 

वर्तमान में सीट पर बीजेपी का कब्जा

साजा विधानसभा की सियासत

बेमेतरा जिले में आने वाली साजा विधानसभा सीट अपने आप इसलिए अहम हो जाती है कि ये सीट कांग्रेस और खासकर चौबे परिवार की परंपरागत सीट रही है और कई सालों तक चौबे परिवार के ही सदस्य ही यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं. रवींद्र चौबे यहां से लगातार छह चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं..लेकिन 2013 में बीजेपी के लाभचंद बाफना इस सीट का इतिहास बदलने में कामयाब हुए।

बेमेतरा जिले का साजा विधानसभा…छत्तीसगढ़ के हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है…1967 में अस्तित्व में आई साजा विधानसभा सीट की सियासी इतिहास की बात की जाए तो यहां की राजनीति में कभी भी बड़े पेंच नहीं रहे हैं और राजनीति एक ही दिशा में एक ही परिवार के इर्द गिर्द रही है। 

1977 में यहां से रवींद्र चौबे के बड़े भाई प्रदीप चौबे जीते ..उसके बाद 1980 में रवींद्र चौबे की मां कुमारी देवी चौबे यहां से कांग्रेस की टिकट पर जीती …1985 में रवींद्र चौबे ने यहां से अपना पहला चुनाव जीता उसके बाद 2008 तक लगातार 6 बार विधायक रहे..हालांकि 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लाभचंद बाफना ने उन्हें शिकस्त दी..एक बार फिर साजा की सियासत में चुनावी घमासान की तैयारी है …और यहां से राजनीतिक गलियारों में एक ही सवाल गूंज रहा है क्या इस बार कांग्रेस अपने गढ़ में वापसी करेगी.. कांग्रेस की ओर से जहां एक मात्र उम्मीदवार रविंद्र चौबे का नाम ही दिखाई देता है..वहीं बीजेपी में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने वाले मौजूदा विधायक लाभचंद बाफना टिकट के प्रबल दावेदार हैं…हालांकि पार्टी में कई और संभावित उम्मीदवार हैं.. इनमें बसंत अग्रवाल,  जो पिछले 10 साल से  विधासनभा में सक्रिय है। वहीं आरएसएस से गजेन्द्र यादव और पूर्व मंत्री जागेश्वर साहू के साथ ही लोधी समाज से हेमलाल वर्मा प्रमुख भी टिकट के लिए अपना दावा ठोंक रहे हैं…साजा विधआनसभा में वैसे तो अबतक बीजेपी और कांग्रेसको बीचे ही घमासान होता आया है..लेकिन इस बार जोगी कांग्रेस के मैदान में उतरने से त्रिकोणिय मुकाबला से इंकार नहीं किया जा सकता है …पर जोगी कांग्रेस का साजा विधान सभा में कोई असर नही दिखता है…यही वजह है कि पार्टी ने बाकी जगह की तरह अभी तक यहां प्रत्याशी की घोषणा अब तक नही की है।

साजा के प्रमुख मुद्दे

पार्टी बदली..जनप्रतिनिधि बदला..लेकिन साजा विधानसभा क्षेत्र की जनता की किस्मत नहीं बदली..आज भी वो बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है। जाहिर है मुद्दे एक बार फिर चुनाव में सुनाई देंगे…जिनका जवाब  नेताओं को चुनाव के दौरान देना ही होगा। 

साजा का नाम आते ही ..जो नाम सबसे पहले जुबान पर आता है वो है टमाटर..जी हां साजा विधानसभा क्षेत्र लाल सोना यानी टमाटर की खेती के लिए जाना जाता है..यहां के टमाटर की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। वहीं चना और सोयाबीन की खेती में भी साजा ने अपनी अलग पहचान बनाई है.लेकिन एग्रोबेस्ड प्लांट नहीं होने से किसानों को अपने फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है

वहीं बीते कुछ समय से यहां मध्प्रदेश से अवैध शराब खपाई जा रही है। इसके अलावा आगामी विधानसभा चुनाव में लोगों की प्रशासनिक नाराजगी को लेकर भी बीजेपी विधायक को झेलनी पड़ सकती है। दरअसल क्षेत्र की जनता को अलग जिला बनने के बाद भी अपने कामों को लेकर भटकना पड़ता है। इसके अलावा धान बोनस, फसल बीमा और सूखे की मार झेल रहे किसान सूखाराहत की राशि में भेदभाव को लेकर भी खासे नाराज हैं। वहीं बीजेपी विधायक के खिलाफ द्वेष की राजनीति करने का भी आरोप लग रहा है। कुल मिलाकर जिस साजा की सियासत में शख्सियतें हावी रही हैं..अब वहां गली मोहल्ले से लेकर सियासी गलियारो तक मुद्दों पर ही बहस छिड़ी है।

 

वेब डेस्क, IBC24

 
Flowers