लुंड्रा की भौगोलिक स्थिति
सफर की शुरूआत करते हैं छत्तीसगढ़ की लुंड्रा विधानसभा सीट से..पूरी तरह से आदिवासी जनसंख्या को समेटे हुए ये विधानसभा आज भी विकास की बाट जोह रहा है..क्या है यहां के सियासी समीकरण..बताएंगे आपको..लेकिन पहले
इसकी भौगोलिक स्थिति पर नजर डाल लेते हैं…
सरगुजा जिले में आती है लुंड्रा विधानसभा
क्षेत्र में उरांव, कंवर और गोंड जनजाति के लोग सबसे ज्यादा
आदिवासियों के लिए आरक्षित है सीट
प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है क्षेत्र
कुल मतदाता- 1 लाख 99 हजार
लुंड्रा, लखनपुर और अंबिकापुर तीन ब्लॉक
बलरामपुर की सीमा से लगा है लुंड्रा विधानसभा
वर्तमान में सीट पर कांग्रेस का कब्जा
कांग्रेस के चिंतामणि सिंह हैं वर्तमान विधायक
लुंड्रा की सियासत
लुंड्रा विधानसभा की सियासत की बात करें तो ये सीट पिछले दो बार से कांग्रेस के खाते में ही जा रही है….भाजपा की कोशिश है कि इस बार वो यहां से जीत हासिल करे..शायद इसी वजह है कि पार्टी के संभावित उम्मीदवारों ने अभी से जनसंपर्क शुरू कर दिया है….वहीं कांग्रेस के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती है, क्योंकि वर्तमान विधायक के प्रति जनता के मन में अविश्वास की भावना देखी जा रही है….हालांकि कांग्रेस की तरफ से अभी कोई दूसरा नाम भी सामने नहीं आया है, ऐसे में माना जा रहा है कि वर्तमान कांग्रेसी विधायक ही अगले उम्मीदवार भी होंगे।
लुंड्रा के मुद्दे
लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों की बात करें तो ..अंबिकापुर शहर की सीमा से सटे होने के बाद भी यहां से विकास कोसों दूर है। गांवों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है…गांवों में लोगों के पास आवागमन की सुविधा नहीं है और स्कूलों की हालत खस्ताहाल है…चलने के लिए सड़कों का अभाव है तो रोजगार के नाम पर वनोपज के अलावा यहां कुछ भी नहीं है…बिजली ज्यादातर समय गुल रहती है और पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र.. प्राकृतिक संसाधनों के मामले में जितना धनी है..उतने ही गरीब यहां के वाशिंदे हैं.. बरसों से यहां के संसाधनों का दोहन कर उद्योगपतियों ने स्थानीय जनता को बस लूटा है..उनके फायदे के लिए कुछ नहीं किया..वहीं नेता भी बस यहां चुनाव के वक्त ही नजर आते हैं…बाकी समय तो यहां की जनता अपनी समस्याओं के साथ जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं.. विकास की बात करें तो लुंड्रा आज भी रोड कनेक्टिविटी के मामले में सरगुजा जिले के बाकी इलाकों से कटा हुआ है….मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए यहां के लोगों को कच्चे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है….और रास्ता भी इतना खराब की सायकिल पर चलने की बजाए ग्रामीण सायकिल को अपने कंधों पर लादकर पैदल चलना ही पसंद करते हैं..रोजगार की समस्या भी लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र में विकराल होती जा रही है..ग्रामीण मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं।
लुंड्रा के लोगों की नाराजगी है कि नेता चुनाव के वक्त ही वोट मांगने आते हैं और उसके बाद लापता हो जाते हैं…कई गांव तो ऐसे हैं की विधायक के कदम एक बार भी वहां नहीं पहुंचे. पहुंच विहीन इलाके होने की वजह से यहां के आदिवासी हाथियों के पैरों तले अपना जीवन गंवा रहे हैं और सुविधा के नाम पर इन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है…ग्रामीण लंबे समय से बिजली की मांग कर रहे हैं। हाथियों से बचने के लिए ग्रामीणों को रतजगा करना पड़ता है…वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी बुरा हाल है..यहां स्कूल तो हैं, लेकिन इमारतें जर्जर हैं। स्वास्थ्य केंद्र तो हैं, लेकिन मेडिकल स्टाफ की कमी है।
कुल मिलाकर ये सारे मुद्दे आने वाले चुनाव में जमकर गूंज सकते है..और नतीजों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
वेब डेस्क, IBC24
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