अब बात करते हैं मध्यप्रदेश के नेपानगर विधानसभा सीट की..पहले इस विधानसभा सीट की प्रोफाइल पर एक नजर..
नेपानगर विधानसभा बुरहानपुर जिले में आती है विधानसभा सीट
ST वर्ग के लिए आरक्षित है सीट
असीरगढ का किला और मुमताज महल जैसे ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध
जनसंख्या- 2 लाख 86 हजार 882
कुल मतदाता- 2 लाख 33 हजार 49
पुरुष मतदाता- 1 लाख 19 हजार 953
महिला मतदाता- 1 लाख 13 हजार 96
फिलहाल सीट पर भाजपा का कब्जा
भाजपा की मंजू दादू हैं विधायक
नेपानगर की सियासत
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है..नेपानगर विधानसभा में सियासी हलचल तेज हो गई है.. इसके साथ भाजपा और कांग्रेस में टिकट मांगने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट भी लंबी होती चली जा रही है..टिकट की आस में नेता जनता के दरबार में भी पहुंचने लगे हैं।
कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस अपनी जीत का परचम लहराती आ रही है नेपानगर विधानसभा सीट पर…नेपानगर के सियासी इतिहास की बात करें तो 1985 में कांग्रेस के तनवंत सिंह कीर ने बीजेपी के ब्रजमोहन मिश्र को हराया था… लेकिन 1990 में बीजेपी के ब्रजमोहन मिश्र ने कांग्रेस के तनवंतसिंह को हराया….1998 में कांग्रेस के रघुनाथ चौधरी ने बीजेपी की अर्चना चिटनीस को मात दी.
लेकिन 2003 में अर्चना चिटनीस ने कांग्रेस के रघुनाथ चौधरी को शिकस्त देकर बीजेपी को जीत दिलाई… 2008 में परिसीमन के बाद नेपानगर विधानसभा सीट अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित हो गई और बीजेपी के राजेन्द्र दादू ने कांग्रेस के रामकिशन पटेल को मात दी…2013 में एक बार फिर बीजेपी के राजेन्द्र दादू ने कांग्रेस के रामकिशन पटेल को हराकर सीट पर कब्जा बरकरार रखा.
लेकिन 2016 में राजेन्द्र दादू के निधन के बाद उपचुनाव हुआ… इस उपचुनाव में राजेन्द्र दादू की बेटी मंजू दादू चुनावी मैदान में उतरी और जीत हासिल की…अब फिर विधानसभा चुनावी का बिगुल बजने वाला है तो विधायक की टिकट के लिए बीजेपी कांग्रेस में कतार लंबी दिखाई दे रही है…बीजेपी की बात करें तो वर्तमान विधायक मंजू दादू टिकट की रेस में सबसे आगे हैं…तो वहीं वरिष्ठ नेता घनसिंह पटेल और पूर्व जनपद अध्यक्ष रतिलाल चिरात्रे भी टिकट की दौड़ में हैं… कांग्रेस की बात करें तो सुमित्रा कासडेकर प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं…इसके अलावा रामकिशन पटेल और अंतरसिंह बर्डे भी टिकट के दावेदार हैं.
नेपानगर के मुद्दे
हर चुनाव से पहले नेता नेपानगर की जनता से विकास के दावे तो करते हैं..लेकिन तमाम दावो के बावजूद नेपानगर विधानसभा क्षेत्र में दुश्वारियों की कोई कमी नहीं है..शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज भी इलाका पिछड़ा नजर आता है..वहीं रोजगार की कमी के कारण यहां के लोग पलायन को मजबूर हैं।
सत्ता बदली..सियासत बदली…लेकिन नहीं बदले तो नेपानगर विधानसभा के हालात..आज भी हर तरफ लोग समस्याओं से घिरे नजर आते हैं…नेपानगर में सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी…क्योंकि नेपानगर की पहचान माना जाने वाला कागज कारखाना भी अब बंद हो चुका है…नतीजा लोग बेरोजगारी के चलते पलायन को मजबूर हैं…
नेपानगर में किसान भी संकट में घिरा दिखाई देता है कहने को तो केले की बंपर पैदावार होती है लेकिन हालत ये है कि लागत मूल्य तक के लिए तरस जाता है किसान…उन्नत खेती के लिए मशहूर इस विधानसभा में कृषि उपज मंडी की मांग तो सालों की जा रही है लेकिन वो भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है.
नेपानगर में अवैध शराब की ब्रिकी और अवैध रेत उत्खनन पर भी लगाम नहीं लग पा रही है…इसके अलावा पेयजल संकट से भी जूझ रही है जनता…शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्च पर भी फेल है नेपानगर..स्कूलों में शिक्षकों की कमी है तो अस्पतालों में डॉक्टरों की…विकास के साथ पर्यटन के नक्शे पर भी नेपानगर की तस्वीर धुंधली नजर आती है..जबकि ये इलाका…ऐतिहासिक किले महल और मकबरों के लिए मशहूर है ।
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3 hours ago