बुनियादी सुविधाओं की मोहताज आष्टा विधानसभा की जनता | Janta Mange Hisab:

बुनियादी सुविधाओं की मोहताज आष्टा विधानसभा की जनता

बुनियादी सुविधाओं की मोहताज आष्टा विधानसभा की जनता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : July 5, 2018/11:17 am IST

अब बात मध्यप्रदेश की आष्टा विधानसभा की… सियायी समीकरण और समस्याओं से पहले विधानसभा की प्रोफाइल पर एक नजर..

हेडर-आष्टा विधानसभा

सीहोर जिले में आती है विधानसभा सीट

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित

कुल मतदाता करीब 2 लाख 47 

करीब 1 लाख 45 हजार पुरुष मतदाता

करीब 1 लाख महिला मतदाता

विधानसभा में 360 गांव शामिल

वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा

रणजीत सिंह गुणवान हैं बीजेपी विधायक

सियासत-

बीते दो विधानसभा चुनावों से आष्टा में कमल खिलता आ रहा है..लेकिन इस बार कांग्रेस तगड़ी तैयारी में दिखाई दे रही है..पिछले चुनाव में महज कुछ वोटों के अंतर से हार गई थी कांग्रेस..।

आष्टा विधानसभा में बीजेपी के विजय रथ को कांग्रेस रोक नहीं पा रही है…बीते चार विधानसभा चुनावों से बीजेपी का कमल खिलता आ रहा है ..लेकिन इस बार कांग्रेस,बीजेपी के इस किले में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गई है…इसके साथ ही विधायक की टिकट के दावेदार भी ताल ठोकते नजर आने लगे हैं..बात कांग्रेस की करें तो बीते दो चुनावों से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे गोपाल सिंह इस बार भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं…पिछले चुनाव में गोपाल सिंह महज 5 हजार वोट से हार गए थे..इसलिए टिकट की दौड़ में सबसे आगे गोपाल सिंह ही हैं…इसके अलावा  एच आर परमाल , अजीत सिंह और हेमंत वर्मा भी दावेदारों में शामिल हैं…अब बात बीजेपी की करें तो वर्तमान विधायक रणजीत सिंह गुणवान सबसे प्रबल दावेदार हैं…रणजीत सिंह की दावेदारी इसलिए भी मजबूत है क्यों वो 4 बार चुनावी समर में जीत दर्ज कर चुके हैं…रणजीत सिंह गुणवान के अलावा रघुनाथ सिंह मालवीय भी टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं ।

मुद्दे-

सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा वैसे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में आती है…लेकिन फिर भी बिजली,पानी और सड़क के लिए तरस रही है जनता ।

सियासी दौड़ में तो आगे है आष्टा विधानसभा लेकिन विकास की दौड़ में बेहद पीछे है…विकास की तस्वीर तो छोड़िए पीने के पानी तक के लिए तरस रही है जनता…नगर से लेकर गांव तक पेयजल संकट नजर आता है..हालत ये है कि 10 से 15 दिनों में एक बार ही नलों में पानी पहुंच पाता है..बिन पानी के खेत भी प्यासे हैं क्योंकि सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं ही नहीं।

कहने को रामपुरा डेम है लेकिन पानी की किल्लत कम करने के लिए नाकाफी है..इसके अलावा भारी-भरकम बिजली बिल से भी लोग परेशान हैं..स्वच्छता के मामले में भी फिसड्डी है आष्टा..हर जगह कचरे का अंबार नजर आता है.. शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार के मोर्चे पर भी फेल है ये विधानसभा..कहने को तो अस्पताल की बिल्डिंग खड़ी कर दी गई  लेकिन डॉक्टर और संसाधनों की कमी बनी हुई है..बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है..क्योंकि उद्योग धंधे हैं नहीं ।

 

वेब डेस्क, IBC24

 
Flowers