छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले स्थित चांदला में झाड़ियों के पास पॉलिथिन में लिपटा एक नवजात मिला है। आस-पास के लोगों को पॉलिथिन में हलचल होने पर नवजात के बारे में पता चला। नवजात को फौरन अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां उसकी हालत खतरे से बाहर है। नवजात के पैरों में चोट के निशान मिले है। डॉक्टरों के मुताबिक नवजात की स्थिति खतरे से बाहर और उसकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच में जुट गई है। पुलिस आसपास के इलाके में नवजात के बारे में पतासाजी में कर रही है। ताकि आरोपियों तक पहुंचा जा सके।
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इंसानों में मानवता लगभग खत्म हो चुकी है। इंसानी रिश्ते झूठे साबित होने लगे हैं। बच्चे जिसके आने पर घरों में खुशियां मनाई जाती है। नन्हें के किलकारी के गूंज से सूने घर में रौनक होती है। नवजात मां के सीने में सबसे ज्यादा महफूज होता है। सीने से लगे होने के बाद भी बच्चे को देखा जाता है कि कहीं उसे कुछ तकलीफ तो नहीं हो रही है। इस धरती पर चंद दिनों आए हुए नवजात कोई कैसे भला जंगल-झांड़ी में फेंकने तक की सोच सकता है। मासूम की एक रोने की आवाज से जहां पूरा परिवार इक्ट्ठा हो जाता है। उस मासूम के लिए मां की ममता भी मर गई और सुरक्षा देने वाला पिता भी उसे तड़पने छोड़ दिया जाता है।
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बेऔलाद होने का दर्द उनसे बेहतर कौन जानता होगा जो औलाद पाने के लिए सालों डॉक्टरों के चक्कर और इलाज में पूरा जीवन बिता देते हैं और उसके बाद में भी कुछ हासिल नहीं होता। ऐसे में सवाल उन बेरहम बेदर्दों से है कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी या पहाड़ टूट पड़ा कि मासूम को झांड़ियों में जीव जंतुओं के बीच तड़पने छोड़ दिया। पालन पोषण भारी पड़ रहा है। तो सरकार के अनाथ आलय भी है। सरकारी और गैर सरकारी कई ऐसी सेवाएं हैं जहां मासूमों के पालन-पोषण के लिए पैर पसारे खड़े होते हैं।
वेब डेस्क, IBC24