राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस-कैंसर पहले देता हैं दस्तक | National Cancer Awareness Day

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस-कैंसर पहले देता हैं दस्तक

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस-कैंसर पहले देता हैं दस्तक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 06:03 AM IST, Published Date : November 6, 2017/12:43 pm IST

कैंसर जिसका नाम सुनते ही रूह कांप जाती है यह एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही लोगों के मन में डर की लहर दौड़ जाती है.कैंसर के मरीजों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है और  ऐसा माना जा रहा है कि 2020 तक कैंसर मरीजों की संख्या एक करोड़ से ऊपर पहुंच जायेगी. भारत में भी यह रोग जिस तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है, उतनी तेजी से हम उसके उपचार की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. इस बीमारी से लड़ने का सबसे मजबूत तरीका है इसके बारे में जागरूकता और जल्द से जल्द इसकी पहचान होना. इस उद्देश्य से हर साल 7 नवम्बर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है.जिसे मनाने की परम्परा तो 1974 से है लेकिन दिन प्रति दिन बढ़ते मरीजों की संख्या के कारण इस अभियान में सरकार अब ज्यादा ध्यान दे रही है। 
छत्तीसगढ़ स्थित मेकाहारा अस्पताल में  एक अनुमान के मुताबिक  सालाना 33 हजार लोगों की कैंसर ओपीडी होती है.इनमें लगभग 4 हजार  नए और बाकी पुराने मरीज होते हैं. इनमें मुंह, फेफड़े, गले और सभी तरह के कैंसर रोगी होते हैं. लेकिन मुंह, फेफड़े, गले के कैंसर के 70-80 फीसदी मरीज की हिस्ट्री  में तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला होता है, जो ये मरीज खुद बताते हैं.इन बातो को धयान रख कर सरकार ने गुटके पर भी प्रतिबन्ध लगाया हुआ है लेकिन इसका ज्यादा लाभ यहाँ देखा नहीं जा रहा है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस  के अवसर पर हमने मेकाहारा अस्पताल के अधिक्षक और कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक चौधरी से जानने की कोशिश की कैंसर के लक्षणों के बारे में। उन्होंने कहा की कैंसर के शुरुआती लक्षणों को अगर पहचान लिया जाये तो इसे खतरनाक स्थिति तक पहुंचने से रोका जा सकता है, इसके शुरुआती लक्षणों को जानने के बाद इसके उपचार में आसानी होती है.

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    आम तौर पर पुरुषों में होने वाले कैंसर

    कैंसर के शुरूआती लक्षणों को अगर पहचान लिया जाये तो इसे खतरनाक स्‍टेज तक जाने से रोका जा सकता है। शुरुआती अवस्‍था में पहचान होने के बाद इसके उपचार में आसानी भी होती है और इसके कारण होने वाली मौतों को भी रोका जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक पुरुषों में कैंसर से होने वाली मृत्यु में 31 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 10 प्रतिशत प्रोस्टेट, 8 प्रतिशत कोलोरेक्टल, 6 प्रतिशत पैंक्रिएटिक और 4 प्रतिशत लिवर कैंसर से होती हैं। इसलिए इसके शुरूआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
   
    आंत में समस्‍या

    आंतों में सामान्‍य समस्‍या होना बड़ी बात नहीं, लेकिन अगर लगातार आंतों में समस्‍या है तो यह कोलेन या कोलोरेक्‍टल कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है। डायरिया और अपच की समस्‍या इस लक्षण को दर्शाते हैं। इसके कारण पेट में गैस और पेट में दर्द की समस्‍या भी हो सकती है. 
 
    खून का बहना
    लगातार खून का बहना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है। अगर कैंसर की संभावना है तो इसके कारण खून मलाशय के द्वारा बाहर निकलता है। य‍ह कोलेन कैंसर का लक्षण है। हालांकि यह समस्‍या 50 की उम्र के बाद होती है, लेकिन वर्तमान लाइफस्‍टाइल के कारण यह किसी भी उम्र में हो सकती है.कैंसर एक घातक बीमारी है। लेकिन जीवनशैली में थोडी सी सावधानी बरती जाये तो इससे दूर भी रहा जा सकता है. अगर कैंसर के लक्षण समय रहते दिखने लगे तो जरूरी उपाय करके इससे बचा जा सकता है.
कैंसर अपने पहले स्टेज में है तो आसानी से कीमोथेरेपी, लेजर थेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा इसका इलाज कराया जा सकता है।शरीर में विभिन्न प्रकार के कैंसर हो सकते हैं जैसे- मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट  कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, पेट का कैंसर, ब्रेन कैंसर आदि. लेकिन अगर इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता है तो आपके लिए कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है.

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कैंसर के पांच बडे लक्षण

1- पेशाब और शौच के समय आने वाला खून।

2- खून की कमी जिससे एनीमिया हो जाता है, थकान और कमजोरी महसूस करना, तेज बुखार आना और बुखार का ठीक न होना।

3- खांसी के दौरान खून का आना, लंबे समय तक कफ आना, कफ के साथ म्यूकस आना।

4- स्तन में गांठ, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना।

5- कुछ निगलने में दिक्कत होना, गले में किसी प्रकार का गांठ होना, शरीर के किसी भी भाग में गांठ या सूजन होना।

महिलाओ में आम तौर पर होने वाले कैंसर 

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स्तन कैंसर :

अधिक प्रसव व शिशु को स्तनपान न कराने से स्‍तन कैंसर होता है। डिंबग्रंथि (ओवरी) से उत्सर्जित हार्मोन भी इसको पैदा करते हैं.

गर्भाशय का कैंसर :

छोटी उम्र में विवाह, अधिक प्रसव, संसर्ग के दौरान रोग, प्रसव के दौरान गर्भाशय में किसी प्रकार का घाव होना और वह ठीक होने से पहले गर्भधारण हो जाए तो 40 की उम्र के बाद गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा रहता है। मीनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना, और दुर्गंध आना, पैरों व कमर में दर्द रहना इसके लक्षण हैं.

रक्त कैंसर (ल्यूकेमिआ)
एक्सरे और विकिरण प्रणाली से किरणें यदि शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाएं तो अस्थियों को प्रभावित करती हैं, जिससे उसके अन्दर खून के सेल्स भी प्रभावित होते हैं। मुख से खून निकलना, जोड़ों व हडि्डयों में दर्द, बुखारा का लगातार कई दिनों तक बना रहना, डायरिया होना, प्लीहा व लसिका ग्रंथियों के आकार में वृद्धि होना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं.

मुख का कैंसर :

तंबाकू सेवन मुख व गले के कैंसर का मुख्य कारण है। मुख के भीतर कोई गांठ, घाव या पित्त बन जाना, मुंह में सफेद दाग, लार टपकना, बदबू आना, मुंह खोलने, बोलने व निगलने में दिक्कत होना इसके लक्षण हैं.

लंग कैंसर

हल्की निरंतर खांसी आना, खांसी के साथ खून आना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके लक्षण हैं.

आमाशय का कैंसर :

पेट में दर्द, भूख बहुत कम आना, कभी-कभी खून की उल्टी होना, खून की कमी। पतले दस्त, शौच के समय केवल खून निकलना, आंतों में गांठ की वजह से शौच न होना इसके प्रमुख लक्षण हैं.

सर्वाइकल कैंसर :

इसके फैलने के बाद रक्त-सामान या मलिन योनिक स्राव उत्पन्न करता है जो कि संभोग या असामान्य रक्त स्राव के बाद नजर आता है। सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक अवस्थाएं पीडा, भूख की कमी, वजन का गिरना और अनीमिया उत्पन्न करती हैं.

ब्रेन कैंसर

ब्रेन कैंसर में मस्तिष्क या स्पाइनल कॉर्ड में गांठ होती है जिससे चक्कार आना, उल्टी  होना, भूलना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।