धमतरी के गांव में पढ़ाई का बुरा हाल, पहली से पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा एक मास्साब पर | teachers problem in school

धमतरी के गांव में पढ़ाई का बुरा हाल, पहली से पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा एक मास्साब पर

धमतरी के गांव में पढ़ाई का बुरा हाल, पहली से पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा एक मास्साब पर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : December 3, 2018/4:38 am IST

धमतरी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही शिक्षा में सुधार और विकास की बात तो करती है लेकिन उनकी ये कोशिश क्या वाकई पूरी होती है। प्रदेश में शिक्षकों की तैनाती के मामले में सरकार गंभीर प्रयास नहीं कर रही है। दुर्गम विद्यालयों में जहां अध्यापक की भारी कमी है। तो वहीं सुगम क्षेत्रों में जरुरत से ज्यादा अध्यापक तैनात है। जिसके चलते प्रदेश में ना केवल नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। बल्कि सरकार द्वारा तय मानकों की भी अनदेखी की जा रही है।

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एक ऐसी बानगी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के ग्राम पंचायत केरेगांव के आश्रित गांव रायपारा प्रायमरी स्कूल में देखने को मिली है यहां 35 बच्चों का भविष्य महज एक शिक्षक के सहारे है। जिसकी वजह से बच्चे और अभिभावक दोनों ही भविष्य को लेकर चिंतित है। बताया जा रहा है कि इस स्कूल मे साल भर पहले दो शिक्षक थे लेकिन इस बीच एक शिक्षक का स्थानांतरण हो गया। ऐसे मे कक्षा पहली से लेकर कक्षा पांचवी तक भार एक ही शिक्षक के कंधे पर है। पालको की मानें तो स्कूल मे शिक्षक नही होने से पढाई पूरी तरह से प्रभावित हो गई है। जिससे बच्चे स्कूल मे अधिकांश समय खेलने में लगे रहते है। पालको का कहना है कि स्कूल रिक्त शिक्षकों के पदो को भरने के लिये कई बार शिक्षा विभाग और कलेक्टर से गुहार लगा चुके है। लेकिन प्रशासन बच्चो के भविष्य को लेकर कोई भी संजीदा नही है। बहरहाल जिला प्रशासन जिले के स्कूलों मे रिक्त शिक्षकों के पदो को जल्द भर लेने की बात कह रहे हैं।

 
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