शूर्पनखा के बाद आया महिषासुर, तृणमूल सांसद बोले-उसे भी था न हारने का घमंड | Trinamool Congress remembers Mahishasur as BJP objects to Shrupnakha's laughter

शूर्पनखा के बाद आया महिषासुर, तृणमूल सांसद बोले-उसे भी था न हारने का घमंड

शूर्पनखा के बाद आया महिषासुर, तृणमूल सांसद बोले-उसे भी था न हारने का घमंड

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : February 8, 2018/2:03 pm IST

नई दिल्ली। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर चल रही चर्चा में ऐतिहासिक किरदारों की एंट्री का सिलसिला जारी है। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी की हंसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बाद शूर्पनखा की एंट्री तो पहले ही हो चुकी थी, अब एक और पौराणिक किरदार की एंट्री हुई है। शूर्पनखा राक्षसी थी तो ये नया किरदार राक्षस था, जिसका नाम आपने भी सुना ही होगा और वो नाम है महिषासुर। प्रधानमंत्री ने जब रामायण के किरदार की ओर इशारा किया तो उनके बाद के वक्ताओं में से एक तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अपने संबोधन में महिषासुर का जिक्र कर दिया। 


डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि महिषासुर को भी ये अहंकार हो गया था कि उसे कोई भी पराजित नहीं कर सकता। इसके बाद अच्छाई की ताकतें महिषासुर के खिलाफ एकजुट हुईं और इन ताकतों ने एक महिला का रुप धारण करके महिषासुर का अंत कर दिया। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उन्होंने महिषासुर के बारे में ये पढ़ा था कि वो बुराई का प्रतीक था और अपना रुप बदलता रहता था, लेकिन महिला के रूप में आईं अच्छाई की ताकतों ने उसका अंत कर दिया। इस बीच, रेणुका चौधरी पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच संग्राम जारी है। भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान जिस तरह से कांग्रेस सांसद बाधा डाल रही थीं, वो संसदीय गरिमा के खिलाफ है। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा है कि बीजेपी की महिला मंत्रियों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने सही कहा, ये ठीक है कि इनका काम पीएम के बयान का बचाव करना है, लेकिन इन्हें प्रधानमंत्री की गुलाम की तरह नहीं काम करना चाहिए।


भारतीय संसदीय राजनीति में शूर्पनखा और महिषासुर जैसे ऐतिहासिक राक्षसी किरदारों को लेकर छिड़ी बहस संसद से लेकर सोशल मीडिया तक छाई हुई है। 

 

 

 

वेब डेस्क, IBC24