भाजपा में शामिल होने समेत सभी विकल्प खुले हैं: आरसीपी सिंह

भाजपा में शामिल होने समेत सभी विकल्प खुले हैं: आरसीपी सिंह

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  • Publish Date - August 18, 2022 / 06:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 05:30 AM IST

पटना, 18 अगस्त (भाषा) बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल के केंद्र में रहे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भाजपा में औपचारिक तौर पर शामिल होने समेत सभी विकल्प खुले रखे हुए हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बिहार में नवीनतम राजनीतिक यू-टर्न के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी प्रहार किया। इस यू-टर्न के तहत जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के शीर्ष नेता ने भाजपा को छोड़ राजद, कांग्रेस और वामपंथियों के महागठबंधन के साथ मिलकर फिर से नई सरकार बना ली।

इससे पहले सिंह पर जदयू द्वारा पार्टी में रहकर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था। इसके मद्देनजर यह पूछे जाने पर कि क्या वह भाजपा में शामिल होना चाहेंगे, उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘क्यों नहीं। मेरे पास सभी विकल्प खुले हैं।’’

नौकरशाह से राजनेता बने सिंह को जदयू द्वारा राज्यसभा के एक और कार्यकाल से इनकार करने पर अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। सिंह ने नीतीश पर प्रहार करते हुए कहा कि सात जन्मों में भी नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नहीं बन सकते।

सिंह ने कहा, ‘‘ये देश में राजनीतिक अस्थिरता का समय नहीं है जब चंद्रशेखर, देवेगौड़ा, गुजराल आदि ने प्रधानमंत्री के तौर पर संक्षिप्त कार्यकाल का आनंद लिया था।’’

उन्होंने वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के इशारे पर जदयू के हितों के खिलाफ काम करने और कुछ महीने बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति के बिना केंद्रीय मंत्री बनने के आरोपों से इनकार किया।

सिंह ने पूछा, ‘‘ अगर भितरघात हुआ था, तो विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद गठबंधन क्यों नहीं तोड़ दिया गया था। अगर मेरा मंत्री बनना अवज्ञा का कार्य था, तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे बधाई क्यों दी।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने वर्ष 2020 के जनादेश के साथ विश्वासघात करने का मन बना लिया था, जब लोगों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को सत्ता में वापस लाने के लिए वोट दिया था।

सिंह ने कहा कि बिहार की जनता देख रही है कि कौन लोग क्या बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजग छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने के निर्णय को सही ठहराने के लिए एक बहाने के रूप में उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।

भाषा अनवर संतोष

संतोष