एएसआई ने बराबर एवं नागार्जुनी गुफाओं को विश्व धरोहर का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजने का फैसला किया |

एएसआई ने बराबर एवं नागार्जुनी गुफाओं को विश्व धरोहर का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजने का फैसला किया

एएसआई ने बराबर एवं नागार्जुनी गुफाओं को विश्व धरोहर का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजने का फैसला किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 11:50 AM IST, Published Date : September 28, 2022/9:37 pm IST

(प्रमोद कुमार)

पटना, 28 सितंबर (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भारत में मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के दौरान चट्टानों को काट पर बनाई गईं सबसे पुरानी बराबर और नागार्जुन गुफाओं को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किए जाने के लिए प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है।

बिहार में जहानाबाद जिले के मखदुमपुर क्षेत्र में स्थित बराबर पहाड़ियां चार गुफाओं के समूह को समेटे हुए है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘‘बराबर गुफाएं’’ कहा जाता है। इनका नाम है- लोमस ऋषि गुफा, सुदामा गुफा, विश्वकर्मा गुफाएं और करण चौपर गुफा।

बराबर पहाड़ियों की गुफाओं से दो किलोमीटर की दूरी पर नागार्जुनी पहाड़ियां (तीन गुफाएं) हैं। माना जाता है कि ये दोनों गुफाएं समकालीन हैं।

एएसआई पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हम इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं और इसे जल्द ही विश्व धरोहर स्थलों की अपनी अस्थायी सूची में शामिल करने के लिए यूनेस्को को भेजा जाएगा। एएसआई मुख्यालय (नई दिल्ली) के माध्यम से प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन गुफाओं को उच्च स्तर की समरूपता के साथ बहुत कठोर ग्रेनाइट मोनोलिथिक पत्थर में बनाया गया है और आंतरिक सतह पर अत्यधिक पॉलिश (प्रसिद्ध मौर्य कालीन पॉलिश) है जो लगभग 2200 साल पहले के भारतीय कलाकारों के अद्वितीय और अद्भुत शिल्प कौशल को दर्शाता है।’’

उन्होंने कहा कि लोमस ऋषि चट्टानों को काटकर बनाई गई सबसे पुरानी गुफा में से एक है। गुफा में मेहराब के आकार का दिलचस्प प्रवेश द्वार है जो उस समय की लकड़ी की संरचना की प्रतिकृति पेश करता है।

भट्टाचार्य ने बताया कि सुदामा भी सबसे पुरानी गुफाओं में शामिल है, जो करण चौपर के सामने स्थित है और लोमस ऋषि के करीब है। प्राचीन ब्राह्मी लेखन में शिलालेखों के अनुसार गुफा को सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के 12वें वर्ष 261 ईसा पूर्व में समर्पित किया था। उन्होंने कहा कि हाल में विशेषज्ञों ने इन गुफाओं का दौरा किया था और अब वे एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।

उन्होंने नागार्जुन गुफाओं के बारे में कहा कि नागार्जुन पहाड़ियों में तीन गुफाओं की खुदाई की गई है- वदथी-का-कुभा, वापिया-का-कुभा और गोपी-का-कुभा। गुफा में कई महत्वपूर्ण शिलालेख हैं। इनमें से कुछ इस बात की गवाही देते हैं कि अशोक के पुत्र दशरथ (232-224 ईसा पूर्व शासनकाल) ने इन गुफाओं को आजीवक समुदाय को समर्पित किया है। आजीवक संप्रदाय भारत में बौद्ध और जैन धर्म के समय में उभरा था और 14 वीं शताब्दी तक चला।

उन्होंने कहा कि इन गुफाओं को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किए जाने के बाद उनका उचित रखरखाव भी शुरू हो जाएगा।

भाषा अनवर सिम्मी

सिम्मी

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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