पटना, तीन दिसंबर (भाषा) बिहार के एक मंत्री का विधानसभा जाने के दौरान एक पुलिसकर्मी द्वारा ‘‘अपमान’’ के मुद्दे पर सरकार द्वारा जवाबदेही तय करने के लिए ‘‘उच्च-स्तरीय आधिकारिक जांच’’ कराने की घोषणा के बाद शुक्रवार को सदन में हंगामा हुआ।
उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि श्रम मंत्री जिबेश कुमार मिश्रा से जुड़े मामले को सदन की कार्य मंत्रणा समिति ने उठाया जिसके बाद सरकार ने ‘‘शीर्ष स्तरीय अधिकारियों’’ से जांच कराने की बात कही।
विधानसभा जाने के दौरान बृहस्पतिवार को मिश्रा की कार को ड्यूटी पर तैनात एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने रोक दिया और पटना के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के काफिले के गुजरने तक उन्हें इंतजार कराया था। मंत्री ने सदन में इस प्रकरण को फिर से उठाया जिस पर विभिन्न दलों के सदस्यों ने नाराजगी जताई और कहा कि यह प्रोटोकॉल उल्लंघन और ‘‘अफसरशाही’’ का संकेत देता है।
मिश्रा ने सदन को बताया कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने उनसे माफी मांगने के लिए बृहस्पतिवार देर रात मुलाकात की। मंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि वे सहमत हैं कि ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने गलती की है। मैंने माफ करने और भूल जाने का फैसला किया।’’ हालांकि उप मुख्यमंत्री के इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(माले) विधायक महबूब आलम ने जानना चाहा कि किस एजेंसी को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। आलम की पार्टी के सहयोगी सत्यदेव राम ने जांच लंबित रहने तक डीएम और एसपी को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा कि अगर वे अपने पदों पर बने रहे तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक रामानुज प्रसाद ने हैरानी जताते हुए कहा कि ‘‘जांच की औपचारिकता’’ की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या सरकार को लगता है कि उसके अपने मंत्री ने सदन के पटल पर झूठ बोला? तुरंत न्याय मिलना चाहिए।’’ कांग्रेस के विजय शंकर दुबे ने कहा कि दो शीर्ष जिला अधिकारियों द्वारा मंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलने और माफी मांगने के बाद मामले को रफा दफा नहीं करना चाहिए।
भाषा आशीष मनीषा
मनीषा
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