भाकपा माले ने महागठबंधन सरकार के सुचारू कामकाज के लिए समन्वय समिति की मांग की

भाकपा माले ने महागठबंधन सरकार के सुचारू कामकाज के लिए समन्वय समिति की मांग की

  •  
  • Publish Date - October 5, 2022 / 03:09 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 04:11 PM IST

पटना, पांच अक्टूबर (भाषा) बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने राज्य सरकार के कामकाज के सुचारू रूप से संचालन के लिए बुधवार को समन्वय समिति के गठन की मांग की।

भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता सुधाकर सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे के तुरंत बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात की और उनसे तत्काल एक समन्वय समिति गठन किए जाने का आग्रह किया।

आलम ने कहा, ‘‘उपमुख्यमंत्री ने मुझे भाकपा (माले) नेताओं के नाम देने के लिए कहा जो जल्द से जल्द समिति का हिस्सा होंगे। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि जल्द ही समिति का गठन किया जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन में शामिल अन्य सहयोगी दलों के नेताओं को भी समिति के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम देने के लिए कहा जाएगा। समिति में प्रत्येक पार्टी के कम से कम दो सदस्य होंगे।’’

महागठबंधन में सात दल- जनता दल (यू), राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले), भाकपा, माकपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में गठबंधन के 160 से अधिक विधायक हैं। भाकपा (माले) के पास 12 विधायक हैं।

सिंह के पास कृषि विभाग था और उन्होंने अपने विभाग में भ्रष्टाचार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कृषि रोडमैप पर सवाल उठाते हुए रविवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

आलम ने कहा, ‘‘सिंह सरकार का हिस्सा थे, इसलिए उन्हें इसके कामकाज पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था। इस तरह के कदमों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए बिहार में महागठबंधन सरकार के गठन के तुरंत बाद हमने एक समन्वय समिति के गठन और साझा न्यूनतम कार्यक्रम की मांग की थी।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही समन्वय समिति के गठन के पक्ष में रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे नेता राम नरेश पांडेय, केदार पांडेय और बिहार विधान परिषद सदस्य संजय सिंह ने सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हाल के घटनाक्रम की मांग है कि हमारे पास एक समन्वय समिति होनी चाहिए। मुख्यमंत्री इस विचार के खिलाफ नहीं थे। अब इसकी बहुत आवश्यकता है क्योंकि दो विधानसभा क्षेत्रों मोकामा और गोपालगंज में उपचुनाव होने हैं।’’

सिंह के इस्तीफे पर अंजान ने कहा कि उनके जैसे लोगों को मंत्री पद की आकांक्षा नहीं रखनी चाहिए थी। उन्होंने सुधाकर सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘उन्हें सरकार का अपमान नहीं करना चाहिए… विपक्ष को ढोल पीटने का मौका नहीं देना चाहिए।’’

भाषा अनवर पवनेश अविनाश

अविनाश