मोदी वंचितों के गौरव, कांग्रेस अभिजात्य वर्ग की पार्टी : बिहार भाजपा |

मोदी वंचितों के गौरव, कांग्रेस अभिजात्य वर्ग की पार्टी : बिहार भाजपा

मोदी वंचितों के गौरव, कांग्रेस अभिजात्य वर्ग की पार्टी : बिहार भाजपा

:   Modified Date:  November 30, 2022 / 10:58 PM IST, Published Date : November 30, 2022/10:58 pm IST

पटना, 30 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई ने स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के बीच के ‘तनावपूर्ण संबंधों’ का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ‘अभिजात्य’ मानसिकता वाली पार्टी है और यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के ‘रावण’ संबंधी बयान में प्रदर्शित होती है।

बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने एक बयान में आरोप लगाया कि गुजरात में एक चुनावी रैली में खरगे की टिप्पणी से ‘वंचित वर्ग’ के मोदी के लिए कांग्रेस के अनादर की बू आती है।

कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने भाजपा नेता के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि नेहरू और प्रसाद के बीच ‘दो विद्वानों के लिए स्वाभाविक मतभेद’ थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर देश के राष्ट्रपतियों के साथ ‘अधीनस्थों की तरह’ आचरण का आरोप लगाया।

आनंद ने अपने बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी पिछड़े व वंचित लोगों के गौरव हैं, जबकि कांग्रेस कुलीन लोगों की पार्टी है।’

भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘जवाहरलाल नेहरू देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सिर्फ इसलिए नापसंद करते थे क्योंकि उनका व्यवहार आम लोगों की तरह था जो भारतीय गांवों में रहते हैं।’’

भक्त चरण दास ने आरोप लगाया ‘भाजपा जैसी पार्टी जो नफरत फैलाती है, उसे नेहरू और राजेंद्र बाबू के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, दोनों आपसी मतभेदों के बावजूद राष्ट्र की सेवा में हमेशा साथ रहे।’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”कांग्रेस को अभिजात्य कहने से पहले, भाजपा को अपने नेता मोदी के महंगे जेट विमानों से उड़ान भरने और लाखों रुपये के सूट पहनने के शौक को याद करना चाहिए।’’

दास ने दावा किया कि खरगे एक अति साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और वह जानते हैं कि आम लोग कैसे सोचते और क्या महसूस करते हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘रावण और कुछ नहीं बल्कि एक शक्तिशाली व्यक्ति का प्रतीक है जिसके कई चेहरे हैं और इसलिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।’’

भाषा अविनाश मनीषा वैभव

वैभव

 

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