समाहरणालय को ढहाये जाने से ‘गांधी’ से पटना का गौरवपूर्ण संबंध टूट गया: गांधीवादियों की शिकायत |

समाहरणालय को ढहाये जाने से ‘गांधी’ से पटना का गौरवपूर्ण संबंध टूट गया: गांधीवादियों की शिकायत

समाहरणालय को ढहाये जाने से ‘गांधी’ से पटना का गौरवपूर्ण संबंध टूट गया: गांधीवादियों की शिकायत

:   Modified Date:  January 30, 2023 / 08:38 PM IST, Published Date : January 30, 2023/8:38 pm IST

(तस्वीर के साथ)

पटना, 30 जनवरी (भाषा) सदियों पुराने पटना समाहरणालय को ढहाये जाने से ऑस्कर विजेता क्लासिक फिल्म ‘‘गांधी’’ से बिहार की राजधानी का ‘गौरवपूर्ण संबंध’ टूट गया है क्योंकि महात्मा गांधी की इस बायोपिक में इस ऐतिहासिक इमारत को दर्शाया गया है।

सन् 1982 में आयी इस फिल्म ने मोहन दास करमचंद गांधी और पटना समाहरणालय के धरोहर भवन को दिलो-दिमाग में बसा दिया था । चालीस साल पहले यह भवन इस फिल्म में बिहार के दृश्यों के लिए शूटिंग स्थल बना था और राजधानी शहर पटना की लोगों के बीच इस पर बरबस चर्चा होती थी।

यह पुराना समाहरणालय अब सिनेमा के पर्दे पर नजर आएगा क्योंकि उसके डचकालीन और ब्रिटिशकालीन ढांचें अब इतिहास की बातें हो गयी हैं। यही बात महात्मा गांधी की 75 वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को कई गांधीवादियों को कचोटती रही।

दिल्ली के बिड़ला हाउस में 1948 में आज ही के दिन नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता की हत्या कर दी थी और अब यह गांधी से जुड़ा राष्ट्रीय संग्रहालय है। उनकी पुण्यतिथि शहीद दिवस के रूप में मनायी जाती है।

कई अकादिमक पुरस्कार प्राप्तकर्ता यह ‘‘गांधी’’फिल्म हत्या के दृश्य के साथ शुरू होती है और यह दृश्य बिड़ला हाउस में फिल्माया गया है।

इस फिल्म में गांधी का किरदार निभाने वाले अभिनेता बेन किंगस्ले और कई अन्य कलाकारों ने इस फिल्म में बिहार के दृश्यों की शूटिंग के लिए निर्देशक रिचर्ड एटनबरो के साथ 1981 में पटना की यात्रा की थी।

इस फिल्म में समाहरणालय के डचकालीन रिकॉर्ड रूम को मोतिहारी जेल की रूप में दिखाया गया है जबकि ब्रिटिश कालीन जिलाधिकारी भवन को प्रसिद्ध अदालत कक्ष के रूप में दर्शाने के लिए उपयोग में लाया गया है। इसी पल (अदालती घटनाक्रम) ने गांधी को महात्मा बना दिया था। इसे स्थानीय रूप से डीएम ऑफिस भवन भी कहा जाता रहा है।

डीएम ऑफिस बिल्डिंग को पिछले साल जून में ढहा दिया गया जबकि पुराने रिकॉर्ड रूम को दिसंबर के आखिर में जमींदोज कर दिया गया। हालांकि इस भवन के कुछ खंभे अगली पीढ़ी के लिए बचा लिये गये हैं।

पुनर्विकास परियोजना के तहत पुराने भवनों को गिराने का काम 14 मई को शुरू हुआ था तथा 12 एकड़ परिसर में नये, ऊंचे समाहरणालय कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए निर्माण तेजी से चल रहा है।

गांधी पीस मिशन के अध्यक्ष एन राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘ यह फिल्म धरोहर है और इसमें भारत के विभिन्न स्थलों में प्रसिद्ध ऐतिहासिक पटना समाहरणालय भी है। लेकिन इसे विकास के नाम पर ढ़हा दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘ समाहरणालय अब बस पर्दे पर नजर आएगा। इसे बेशकीमती धरोहर के रूप में संजोकर रखा जाना चाहिए खासकर गांधी से जुड़ी यादों के तौरपर।’’

एक अन्य गांधीवादी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि उन्हें यह जानकारी दुख हुआ कि ‘ऐतिहासिक समाहरणालय हमेशा के लिए मिटा दिया गया।’

सन् 2016 में जब इस ऐतिहासिक भवन को ढहाने का प्रस्ताव रखा गया था तब से इतिहासकार, विद्वान, संरक्षणवादी, वास्तुकार, गांधीवादी एवं कई अन्य सरकार से इसे बचाने की अपील कर रहे हैं।

भाषा

राजकुमार माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)