E. Sreedharan Birthday: आज अपना 91वां बर्थडे मना रहे ‘मैट्रो मैन’, महज कुछ दिनों में पूरा किया था छह महीने का काम, जानिए कैसे मिला ये नाम

Metro Man E. Sreedharan is celebrating his 91st birthday today आज अपना 91वां बर्थडे मना रहे 'मैट्रो मैन' Metro Man E. Sreedharan Birthday

E. Sreedharan Birthday: आज अपना 91वां बर्थडे मना रहे ‘मैट्रो मैन’, महज कुछ दिनों में पूरा किया था छह महीने का काम, जानिए कैसे मिला ये नाम

Metro Man E. Sreedharan is celebrating his 91st birthday today

Modified Date: June 12, 2023 / 11:38 am IST
Published Date: June 12, 2023 11:38 am IST

Metro Man E. Sreedharan Birthday

आज 12 जून को ई. श्रीधरन अपना 91वां बर्थडे मना रहे हैं। बता दें कि ई. श्रीधरन को ‘मैट्रो मैन’ के नाम से भी जाना जाता है। देश में मेट्रो के रूप में इस क्रांति को लाने में ई. श्रीधरन ने अहम भूमिका निभाई है। मेट्रो अपनी रफ्तार से कुछ शहरों में लोगों के जीवन को आसान बना रही है। मेट्रो की रफ्तार ने न सिर्फ दूरियां कम करने का काम किया है बल्कि बहुत से लोगों को आरामदायक वाहन भी मुहैया करवाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में मेट्रो के रूप में इस क्रांति को लाने में अहम भूमिका किसने निभाई है। बता दें कि इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाले ई.श्रीधरन, जिन्हें मैट्रो मैन के नाम से भी जाना जाता है। आज यानी की 12 जून को ई. श्रीधरन अपना 91वां बर्थडे मना रहे हैं। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर ई. श्रीधरन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

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प्रोबेशनरी असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर शुरू की थी नौकरी

केरल के पलक्कड़ में पत्ताम्बी नामक स्थान पर 12 जून 1932 को ई.श्रीधरन का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई पलक्कड़ के बेसल ईवैनजेलिकल मिशन हायर सेकंड्री स्कूल से पूरी की है। इसके बाद आगे की पढ़ाई श्रीधरन ने पालघाट स्थित विक्टोरिया कॉलेज से की। आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा स्थित ‘गवर्नमेंट इंजिनियरिंग कॉलेज’ से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ई. श्रीधरन कोझिकोड स्थित ‘गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक’ में पढ़ाने लगे थे। यहां पर वह सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाते थे। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट में बतौर ट्रेनी काम किया, वहीं साल 1953 में श्रीधरन ने इंडियन इंजिनियरिंग सर्विस यानी की IES की परीक्षा पास की और साल 1954 में दक्षिण रेलवे में प्रोबेशनरी असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर उनकी पहली नौकरी शुरू हुई।

कोलकाता में डाली देश की पहली मेट्रो की नींव 

देश की पहली कोलकाता मेट्रो की योजना, डिजाइन और कार्यान्वयन की जिम्मेदारी ई.श्रीधरन को सौंपी गई थी, वहीं साल 1970 में कोलकाता में उन्होंने देश की पहली मेट्रो की नींव डाली थी। जिसके बाद साल 1975 में श्रीधरन को कोलकाता मेट्रो रेल परियोजना से हटा दिया गया। साल 1979 में उन्होंने कोचिन शिपयार्ड को ज्वॉइन किया। उस दौरान कोचिन शिपयार्ड की परफॉर्मेंस काफी खराब थी। लेकिन श्रीधरन की कार्यकुशलता, अनुभव और अनुशासन का लाभ कोचिन शिपयार्ड को मिला। कोचिन शिपयार्ड को ई. श्रीधरन ने कायाकल्प कर दिया। साल 1981 में कोचिन शिपयार्ड का ‘एम.वी.रानी पद्मिनी’ पहला जहाज तैयार हुआ। इस जहाज को तैयार करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

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 दिल्ली मेट्रो की सफलता पर दी ‘मैट्रो मैन’ की उपलब्धि

साल 1987 में श्रीधरन का प्रमोशन हुआ और उन्हें पश्चिमी रेलवे में जनरल मैनेजर बनाया गया, जिसके बाद साल 1989 में वह रेलवे बोर्ड के सदस्य बन गए। जब साल 1990 में वह सेवानिवृत्त होने वाले थे, तब ई. श्रीधरन को कोंकण रेलवे के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर अनुबंध पर नियुक्त किया गया। यहां पर उनके नेतृत्व में कई रिकॉर्ड बने। इसके सबाद साल 1997 में श्रीधरन को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया। इस दौरान उनकी उम्र 64 साल की थी। दिल्ली के तत्कालीन सीएम साहिब सिंह वर्मा ने उनको यह पद सौंपा था। दिल्ली मेट्रो की सफलता और समय-सीमा के अंदर काम करने के बाद उनको ‘मैट्रो मैन’ की उपलब्धि दी गई।

46 दिनों में पूरा किया 6 महीने का काम

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दिल्ली मेट्रो से रिटयरमेंट होने के बाद ई. श्रीधरन को कोच्चि और लखनऊ मेट्रो रेल का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया, वहीं जयपुर मेट्रो को श्रीधरन ने सलाह देने का काम किया। देश में बनने वाली अन्य मेट्रो रेल परियोजनाओं में भी वह सक्रिय रहे। साल 1964 में तमिनलाडु में एक तूफान के कारण रामेश्वरम को तमिल नाडु से जोड़ने वाला ‘पम्बन पुल’ टूट गया था।  रेलवे ने इस पुल के पुन: जीर्णोद्धार और मरम्मत करने के लिए 6 महीने का समय दिया था, लेकिन ई. श्रीधरन ने इस काम को सिर्फ 3 महीने में पूरा करने के लिए कहा। जिसके बाद पुल का काम उन्हें सौंपा गया। बता दें कि पुल के पुन: जीर्णोद्धार और मरम्मत के कार्य को उन्होंने सिर्फ 46 दिनों में पूरा कर दिया था। जिसके लिए ई.श्रीधरन को ‘रेलवे मंत्री पुरस्कार’ से नवाजा गया था।

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