जेपी एसोसिएट्स को खरीदने की दौड़ में अदाणी एंटरप्राइजेज सबसे आगे

जेपी एसोसिएट्स को खरीदने की दौड़ में अदाणी एंटरप्राइजेज सबसे आगे

जेपी एसोसिएट्स को खरीदने की दौड़ में अदाणी एंटरप्राइजेज सबसे आगे
Modified Date: November 9, 2025 / 07:41 pm IST
Published Date: November 9, 2025 7:41 pm IST

नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड दिवाला प्रक्रिया के जरिये जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) का अधिग्रहण करने के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बन सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

खनन क्षेत्र की बड़ी कंपनी वेदांता समूह ने सितंबर की शुरुआत में अदाणी समूह को पीछे छोड़ते हुए 12,505 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाकर बढ़त हासिल की थी।

यह नीलामी जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के लिए की गई थी, जिसका कारोबार रियल एस्टेट, सीमेंट, ऊर्जा, होटल और सड़क निर्माण जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है।

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डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, जिंदल पावर लिमिटेड और पीएनसी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने इस नीलामी प्रक्रिया में बोली नहीं लगाई।

बाद में ऋणदाताओं ने बोली मूल्य बढ़ाने और प्राप्ति को अधिकतम करने के लिए इन पांचों कंपनियों के साथ बातचीत की, जिसके बाद 14 अक्टूबर को इन पांच बोलीदाताओं ने सीलबंद लिफाफों में नई हस्ताक्षरित समाधान योजनाएं प्रस्तुत कीं।

सूत्रों के अनुसार, जेएएल की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने पिछले सप्ताह इन व्यापक समाधान योजनाओं पर विचार-विमर्श करने तथा उनकी व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिए बैठक की थी।

उन्होंने बताया कि सीओसी ने तय मानकों के आधार पर सभी समाधान योजनाओं का मूल्यांकन किया। इस प्रक्रिया में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की योजना को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया, जबकि डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड दूसरे और वेदांता लिमिटेड तीसरे स्थान पर रहे।

सूत्रों ने बताया कि अब समाधान योजना को अगले दो सप्ताह में सीओसी द्वारा मतदान के लिए रखा जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार यह समझा जा रहा है कि डालमिया की योजनाओं में भुगतान जेएएल और विकास प्राधिकरण यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण(वाईईआईडीए) के बीच लंबित मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर है।

अदाणी समूह ने ऋणदाताओं को दो साल के भीतर भुगतान का प्रस्ताव दिया है, जबकि वेदांता ने पांच साल में किस्तों में भुगतान की बात कही है।

पिछले महीने जेपी एसोसिएट्स के पूर्व प्रवर्तकों ने भी बैंकों के साथ समझौते की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने धन के स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी।

सूत्रों के अनुसार, इस तरह के प्रस्ताव अक्सर दिवाला समाधान प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए दिए जाते हैं।

भाषा योगेश पाण्डेय

पाण्डेय


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