नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कहा है कि देश भर में एनसीएलटी के ऊपर नजर रखने और निगरानी की शक्ति के लिये कानूनी प्रावधान किये जाने की जरूरत है।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि मौजूदा कानून में ऐसी शक्तियों के अभाव में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेश से असंतुष्ट कई लोग उसके समक्ष आवेदन देकर उससे संपर्क करने को बाध्य हैं।
इंटरनेशनल रिक्रिएशन एंड एम्युजमेंट के समाधान पेशेवर (आरपी) की याचिका पर आदेश सुनाते हुए न्यायाधिकरण ने यह बात कही। वह संबंधित मामले में एनसीएलटी के बार-बार के स्थगन आदेश और लगातार पुन: अधिसूचित किये जाने से असंतुष्ट था।
समाधान पेशेवर के अनुसार समाधान योजना एनसीएलटी की दिल्ली पीठ के समक्ष 2019 से लंबित है और मामला 18 बार स्थगित हो चुका है।
कार्यवाहक चेयरपर्सन न्यायमूर्ति बी एल भट्ट की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय अपीलीय न्यायाधिकरण की पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है।’’
अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा, ‘‘कानून में ऐसा प्रावधान लाने की जरूरत है जिससे यह मंच राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की निगरानी कर सके।’’
पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा कानून में ऐसी शक्तियों के अभाव में एनसीएलटी के आदेश से असंतुष्ट कई लोग उसके समक्ष आवेदन देकर उससे संपर्क करने को बाध्य हैं।’’
अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी को लंबित समाधान योजना मामले में दो सप्ताह के भीतर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेने और आदेश देने को कहा।
साथ ही आदेश की प्रति अपीलीय न्यायाधिकरण को भेजने को कहा है।
एनसीएलटी ने इंटरनेशनल रिक्रिएशन एंड एम्युजमेंट के खिलाफ ऋण शोधन अक्षमता कार्यवाही शुरू की थी। यह तीन अगस्त 2018 को शुरू हुई थी। कंपनी भारत का पहला मनोरंजन पर्क अप्पू घर का परिचालन करती थी।
भाषा
रमण मनोहर
मनोहर