महंगाई का बुरा दौर पीछे छूटा, पर ढिलाई की गुंजाइश नहीं : शक्तिकांत दास |

महंगाई का बुरा दौर पीछे छूटा, पर ढिलाई की गुंजाइश नहीं : शक्तिकांत दास

महंगाई का बुरा दौर पीछे छूटा, पर ढिलाई की गुंजाइश नहीं : शक्तिकांत दास

:   Modified Date:  December 7, 2022 / 07:25 PM IST, Published Date : December 7, 2022/7:25 pm IST

मुंबई, सात दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि महंगाई का खराब दौर पीछे छूट चुका है लेकिन अभी इस मोर्चे पर ढिलाई बरतने की कोई गुंजाइश नहीं है।

दास ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो इस ‘निराशावादी’ दुनिया में भारत उम्मीद की एक किरण के रूप में दिखाई दे रहा है। दुनिया के कई देशों में मंदी की भी आशंका है।’’

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 करने की घोषणा की है। इस तरह मई, 2022 से रिजर्व बैंक रेपो दर में कुल 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।

ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले कुछ महीनों से लगातार रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।

दास ने कहा कि जिंस कीमतों और कच्चे तेल के दामों में कमी से वैश्विक स्तर पर महंगाई कम हो रही है, लेकिन मुद्रास्फीति के मोर्चे पर सकारात्मक खबरों के बावजूद अभी ढिलाई नहीं बरती जा सकती है।

उन्होंने कहा, ”मुद्रास्फीति हमारे यहां और विश्व स्तर पर कम हो रही है, लेकिन हमें अत्यधिक सतर्क रहना होगा। यदि जरूरी हो तो हमें कार्रवाई भी करनी होगी। इसलिए मैं कहता हूं कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं हुई है और आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है।”

दास ने वृद्धि दर के पूर्वानुमान में कमी का बचाव करते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि मुद्रास्फीति का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है। उन्होंने कहा कि आरबीआई घरेलू कारकों और आगामी आंकड़ों पर नजर बनाए रखेगा।

इस अवसर पर रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक का प्रयास पहले मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे लाना है। रेपो दर में 0.50 प्रतिशत के बजाय 0.35 प्रतिशत की वृद्धि को केंद्रीय बैंक की ओर से नरमी के संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए।

हालांकि पात्रा ने कहा, ”मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और इसलिए हमारा तटस्थ रुख है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने नीतिगत दर में बदलाव की मात्रा को कम कर दिया है। यह सबसे अहम बात है।”

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम

 

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