बैंक संघों ने निजीकरण पर सीतारमण की टिप्पणी की आलोचना की

बैंक संघों ने निजीकरण पर सीतारमण की टिप्पणी की आलोचना की

बैंक संघों ने निजीकरण पर सीतारमण की टिप्पणी की आलोचना की
Modified Date: November 6, 2025 / 04:10 pm IST
Published Date: November 6, 2025 4:10 pm IST

नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) बैंक संघों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण संबंधी टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा है कि वित्तीय समावेश अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें (बैंकों को) पूंजीगत समर्थन के साथ मजबूत किए जाने की जरूरत है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के योगदान का उल्लेख करते हुए सभी बैंकों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नौ श्रम संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 90 प्रतिशत खाते पीएसबी द्वारा खोले गए।

बयान में कहा गया कि प्राथमिकता वाले ऋण एवं सामाजिक बैंकिंग लगभग पूरी तरह और ग्रामीण पहुंच एवं वित्तीय साक्षरता भी ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा संचालित है।

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इसमें कहा गया, ‘‘ अगर आज भारतीय बैंकिंग मजबूत है, तो यह सार्वजनिक स्वामित्व में निर्मित जुझारू क्षमता की वजह से है… दुनिया का कोई भी देश, बैंकों के निजीकरण के जरिये सार्वभौमिक बैंकिंग हासिल नहीं कर पाया है। यह कहना कि निजीकरण से समावेश सुनिश्चित होगा इसका कोई भी प्रमाण नहीं है।’’

इस सप्ताह की शुरुआत में, वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकारी बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन और राष्ट्रीय हित को कोई नुकसान नहीं होगा।

हालांकि, यूएफबीयू ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण से राष्ट्रीय एवं सामाजिक हित कमजोर होंगे, वित्तीय समावेशन खतरे में पड़ेगा और रोजगार सुरक्षा व सार्वजनिक धन को खतरा होगा।

भाषा

निहारिका अजय

अजय


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