सीएआई ने मोदी को लिखा पत्र, खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकती हैं मधुमक्खियां |

सीएआई ने मोदी को लिखा पत्र, खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकती हैं मधुमक्खियां

सीएआई ने मोदी को लिखा पत्र, खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकती हैं मधुमक्खियां

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:48 PM IST, Published Date : August 7, 2022/1:07 pm IST

(राजेश अभय)

नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) मधुमक्खी पालन के समग्र विकास के लिए गठित एपीकल्चर उद्योग परिसंघ (सीएआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि दलहन और तिलहन उत्पादन सहित खाद्य सुरक्षा में मधुमक्खियां अहम भूमिका निभा सकती है।

सीएआई के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य देवव्रत शर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मधुमक्खी पालन विकास समिति (बीडीसी) ने देश की खाद्यान्न सुरक्षा में मधुमक्खियों की पर-परागण की अहम भूमिका को देखते हुए इस क्षेत्र के भरपुर विकास के संदर्भ में प्रधानमंत्री को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं।’’

शर्मा प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के तहत बनी बीडीसी के सदस्य भी हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह सीएआई संचालन परिषद की पांचवीं बैठक थी, जिसमें लगभग सभी अंशधारकों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए बीडीसी की सिफारिशों को लागू करने के संबंध में कृषि सचिव मनोज आहुजा एक पत्र भी सौंपा गया।

शर्मा ने बताया कि रविवार को होने वाली नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में तिलहन और दलहन के मुद्दे पर भी विचार किये जाने का प्रस्ताव है। इस बैठक में देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में सीएआई ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खी पालन की अहम भूमिका होने के कारण, इसकी खेती के लिए मधुमक्खी कॉलोनियां लगवाने को प्रोत्साहन दिया जाये।

उन्होंने कहा कि जिस तरह सेब फल का उत्पादन बढ़ाने के लिए पेड़ में फूल आने के दिनों में मधुमक्खी पालकों से मधुमक्खी कॉलोनियां लगवाई जाती हैं और इस काम के लिए राज्य सरकारों की ओर से उन्हें प्रति कॉलोनी 1,500 रुपये प्रति माह के हिसाब से भुगतान किया जाता है। उसी तरह दलहन, तिलहन की खेती में भी पर-परागण करने के लिए मधुमक्खी कॉलोनी लगवाई जायें और मधुमक्खी पालकों को उसके लिए भुगतान की व्यवस्था की जाये।

उल्लेखनीय है कि पर-परागण के जरिये खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका मधुमक्खियों की होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर सीएआई की तरफ से नीति आयोग को कुछ सिफारिश की गई हैं, जिनमें हाइब्रिड बीज का कम से कम इस्तेमाल शामिल है।

हाइब्रिड बीजों के कारण फसल तो जल्दी तैयार होती है, लेकिन उसमें पोषक तत्वों की कमी और पुष्प रस (नेक्टर) व पराग कण (पॉलेन) की मात्रा न्यूनतम होती है या नहीं होती है। इससे मधुमक्खियों को नुकसान होता है।

उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि मधुमक्खियों की कमी के कारण फसल उत्पादन में हर साल 256 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है।

शर्मा ने बताया कि सीएआई ने 31 अगस्त तक अपना सदस्यता अभियान चलाने का कार्यक्रम बनाया है। उसके बाद राज्य स्तर पर इसकी इकाइयों का गठन किया जायेगा।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)