सरसों उत्पादन बढ़ाने के लिए ब्लेंडिंग पर प्रतिबंध लगे

सरसों उत्पादन बढ़ाने के लिए ब्लेंडिंग पर प्रतिबंध लगे

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  • Publish Date - September 27, 2020 / 11:34 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) सरसों के तेल में किसी भी अन्य खाद्य तेल की मिलावट पर एक अक्टूबर से रोक लगाने के सरकार के फैसले से देश में सरसों दाने का उत्पादन बढ़ेगा और खाद्य तेलों के आयात में कमी होगी। खाद्य तेल उद्योग की दिग्गज हस्तियों से यह बात कही।

फॉर्च्यून ब्रांड के तहत खाद्य तेल बेचने वाली अडाणी विल्मर और धारा ब्रांड के तहत खाद्य तेलों का विपणन करने वाली मदर डेयरी ने इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि इससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा।

अडाणी विल्मार के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी अंगशु मल्लिक ने कहा, ‘‘यह एक अच्छा फैसला है। उपभोक्ताओं को अब शुद्ध सरसों का तेल मिलेगा। सरसों के तेल में चावल की भूसी, सोयाबीन और पाम ऑयल के तेल की मिलावट की जा रही है।’’

उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद अब पांच लाख टन अतिरिक्त सरसों के तेल की जरूरत होगी, जिसे मिलाया जा रहा था।

मल्लिक ने कहा, ‘‘पांच लाख टन सरसों के तेल का उत्पादन करने के लिए हमें 12-15 लाख टन अतिरिक्त सरसों की जरूरत होगी।’’

उन्होंने कहा कि इस फैसले से राजस्थान और अन्य राज्यों में सरसों का रकबा बढ़ेगा और किसानों की आय में इजाफा होगा।

देश में रबी (सर्दियों के मौसम) की फसल के दौरान सरसों का उत्पादन 2019-20 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 91.16 लाख टन था।

कोविड-19 महामारी की वजह से कम मांग पर पिछले वर्ष में 2019-20 तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में भारत का समग्र वनस्पति तेल आयात लगभग 134-135 लाख टन घट सकता है।

मल्लिक ने सुझाव दिया कि खाद्य नियामक को इस फैसले के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना होगा और अवैध रूप से सम्मिश्रण रोकना होगा।

मदर डेयरी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक फैसला है और ये हर तरह से उपभोक्ताओं, किसानों और ईमानदारी से शुद्ध सरसों का तेल बेचने वालों के हित में है, क्योंकि उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे सरसों तेल के बड़े बाजारों में उपभोक्ताओं को गुमराह किया गया था और सरसों के तेल के नाम पर मिलावट वाला तेल बेचा जा रहा था।’’

उन्होंने कहा कि मदर डेयरी ने हमेशा शुद्ध सरसों के तेल की वकालत की है, जो सही स्वाद और सुगंध देता है। सरसों तेल में मिलावट से गुणवत्ता और स्वाद दोनों प्रभावित होते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा दूसरे खाद्य तेलों की मिलावट पर प्रतिबंध से किसानों को फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी।

हाल में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्त को एक पत्र भेजकर कहा था कि ‘‘भारत में किसी भी अन्य खाद्य तेल के साथ सरसों के तेल की मिलावट एक अक्टूबर 2020 से प्रतिबंधित है।’’

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर