अमरावती, 26 नवंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश में बेलगाम राजस्व व्यय और सीमित पूंजीगत व्यय ने राज्य के वित्त पर बुरा असर डाला है, और इस वजह से वर्ष 2019-20 में राज्य को 26,441 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। यह अनुमान से 1,486.28 प्रतिशत ज्यादा है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
कैग ने सकल वित्तीय कुप्रबंधन, विशेष रूप से बढ़ते राजस्व घाटे को रोकने में नाकाम रहने और राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के उल्लंघन के लिए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगायी।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने वर्ष 2019-20 में सकल रूप से घटे हुए पूंजीगत व्यय पर सरकार की ओर से खामी पायी। उसने कहा कि यह राजकोषीय रणनीति की समीक्षा और पूंजीगत व्यय में वृद्धि के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनाने की जरूरत की ओर इशारा करता है जिससे समानता के आधार पर वृद्धि को बढ़ावा देने और तेज करने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट शुक्रवार को राज्य विधानसभा में पेश की गयी।
इसी बीच, आंध्र प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम, 2005 में और संशोधन किया, ताकि ज्यादा ऋण लेने की व्यवस्था की जा सके और बड़े राजस्व घाटे की मंजूरी हो।
विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन ने एफआरबीएम अधिनियम संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी।
भाषा
प्रणव रमण
रमण
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