जलवायु परिवर्तन खेती ही नहीं, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चुनौती: मोदी |

जलवायु परिवर्तन खेती ही नहीं, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चुनौती: मोदी

जलवायु परिवर्तन खेती ही नहीं, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चुनौती: मोदी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : September 28, 2021/4:45 pm IST

नयी दिल्ली/ रायपुर, 28 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन न केवल कृषि बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिये बड़ी चुनौती बन गया है और इस समस्या के हल के लिए प्रयास तेज करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रायपुर के बरौंडा स्थित राष्ट्रीय जैविक प्रभाव प्रबंधन संस्थान के नए परिसर का उद्घाटन किया तथा 35 फसलों की विशेष गुणों वाली किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सभी संस्थानों, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि विज्ञान केंद्र में किया गया।

प्रधानमंत्री ने नवोन्मेषी खेती के तरीके अपनाने वाले किसानों से भी बातचीत की।

मोदी ने कहा कि देश में बीते छह-सात वर्षों में कृषि के क्षेत्र में जो कार्य हुआ है उसने आने वाले 25 वर्षों के बड़े राष्ट्रीय संकल्प सिद्धि के लिए मजबूत आधार बना दिया है।

उन्होंने कहा कि कृषि और विज्ञान का निरंतर बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘आज इसी से जुड़ा एक और अहम कदम उठाया जा रहा है। हमारे देश की आधुनिक सोच वाले किसानों को इसे समर्पित किया जा रहा है।’’

मोदी ने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों के दौरान कृषि से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर इस्तेमाल किया गया।

मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर भारत में कृषि संबंधी कहावतें बहुत लोकप्रिय रही है। इन कहावतों में कहा जाता है कि खेत की जितनी गहरी जुताई की जाती है उपज भी उतनी गहरी होती है। ये कहावतें भारत में कृषि के सैकड़ों साल पुरानी अनुभव के बाद बनी हैं। ये बताती हैं कि भारतीय कृषि हमेशा से कितनी वैज्ञानिक रही है।

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में अलग-अलग फसलों के 1,300 से अधिक बीजों की किस्में तैयार की गई हैं। आज इसमें 35 और को शामिल किया गया है। यह हमारे वैज्ञानिकों की खोज का परिणाम है। बीजों की नयी किस्में मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं और इनमें पौष्टिक तत्व भी अधिक हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से खेती ही नहीं हमारे समूचे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां और महामारी आ रही हैं इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है। इन पहलुओं पर ध्यान रखकर जब विज्ञान, सरकार और समाज मिलकर काम करेंगे, तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मछली उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। इसकी वजह से किसानों और मछुआरों को नुकसान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि रायपुर स्थित राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान से मौसम और अन्य परिस्थितियों के बदलाव से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में देश के प्रयासों को वैज्ञानिक मार्गदर्शन मिलेगा। यहां से जो समाधान तैयार होगा वह देश की कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में फसलों का बड़ा हिस्सा कीटों की वजह से बर्बाद हो जाता है। कोरोना से लड़ाई के दौरान हमने देखा कि टिड्डी दल ने देश के कई राज्यों में बड़ा हमला किया था। भारत ने बहुत प्रयास करके इस हमले को रोका था। ‘‘इस नए संस्थान पर बहुत बड़ा दायित्व है। मुझे विश्वास है यहां काम करने वाले वैज्ञानिक इस पर खरे उतरेंगे।’’

मोदी ने कहा कि जब खेती-किसानी को संरक्षण मिलता है, सुरक्षा कवच मिलता है तब उसका और तेजी से विकास होता है। किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए गए हैं। इसकी वजह से किसानों को बहुत लाभ हुआ है। इसी तरह यूरिया को शत प्रतिशत नीम कोटेड करके खाद से होने वाली चिंता को दूर किया है। पानी की चिंता दूर करने के लिए सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। दशकों से लंबित करीब सैकड़ों सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया गया है।

उन्होंने कहा कि किसान खेती के साथ-साथ बिजली पैदा करें। अन्नदाता उर्जादाता बनें इसके लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बहुत लाभ पहुंचा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जो परिवर्तन लाए गए उसके कारण किसानों को एक लाख करोड़ रुपये की बीमा दावा राशि का भुगतान किया गया है।

उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के साथ-साथ हमने खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया है। किसानों की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान सम्मान निधि के तहत करोड़ों किसानों को डेढ़ लाख करोड रुपये से अधिक की राशि उनके बैंक खातों में डाली गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को क्रेडिट कार्ड देने का कार्य हो या कृषि मंडियों का आधुनिकीकरण, सभी तेज गति से किए गए हैं।

मोदी ने कहा कि कृषि को राज्य का विषय कहा जाता है। कई बार लिखा जाता है कि यह राज्य का विषय है, भारत सरकार को इस पर कुछ नहीं करना चाहिए। गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान हमने कृषि नीति और उनके प्रभावों का बेहतर उपयोग किया। एक समय था कि गुजरात में खेती कुछ हिस्सों तक ही सीमित थी। हम इसमें बदलाव का मंत्र लेकर चले और आज देश के बागवानी और कृषि क्षेत्र में गुजरात की बड़ी हिस्सेदारी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि देश के किसान नई तकनीकों को अपना रहे हैं। हमारे देश में मौसम के हिसाब से उगाई जाने वाली फसलों में पोषक तत्व अधिक रहते हैं। हमारे स्वास्थ्य के लिए मोटे अनाज (मिलेट) का बहुत अधिक महत्व है। वर्तमान में मोटे अनाज की मांग बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है।

मोदी ने कहा कि खेती की पुरातन परंपराओं के साथ-साथ हमें इसमें आधुनिक तकनीक को अपनाना होगा। खेती में नई मशीनों और आधुनिक उपकरणों को बढ़ावा देने का परिणाम आज दिख रहा है। आने वाला समय स्मार्ट मशीनों का है। खेती में आधुनिक ड्रोन और सेंसर के उपयोग की भूमिका बढ़ाने की जरूरत है। इससे खेती से जुड़े डाटा हमें मिल सकता है। हाल ही में लागू की गई नई ड्रोन नीति इसमें सहायक सिद्ध होने वाली है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश का छोटे से छोटे किसान जब नए उपकरणों और नई तकनीक का उपयोग करेगा तब कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे। किसानों को कम दाम में आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराने वाली स्टार्टअप कंपनियों के लिए यह बेहतरीन अवसर है। मै देश के युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने का आग्रह करूंगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इस अमृत काल में कृषि से जुड़े तकनीक को हमें गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचाना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके लिए कुछ बड़े कदम उठाए गए हैं। हमें कोशिश करनी है कि मिडिल स्कूल लेवल तक कृषि से जुड़़े अनुसंधान और प्रौद्योगिकी स्कूली पाठ्यक्रम का भी हिस्सा बनें।

मोदी ने कहा कि जो अभियान हमें शुरू किया गया है इसे जन आंदोलन में बदलने के लिए हम सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी है।

प्रधानमंत्री ने देश के सभी शिक्षाविदों, कृषि वैज्ञानिकों, सभी संस्थानों से कहा कि वे आजादी के अमृत महोत्सव के लिए अपना लक्ष्य तय करें। ‘‘हम सबका प्रयास किसानों की समृद्धि और देश के स्वास्थ्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।’’

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चयनित कृषि विश्वविद्यालयों को स्वच्छ हरित परिसर पुरस्कार भी प्रदान किया। कार्यक्रम को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी संबोधित किया।

भाषा संजीव

अजय महाबीर

महाबीर

 

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