नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की सीआईएल ने खदनों के ऊपर पड़े चट्टानों का इस्तेमाल कर रेत तैयार करने की योजना बनाई है। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि अगले साल ऐसे पांच संयंत्र चालू हो सकते हैं।
खनन के लिए खदान के ऊपर स्थित चट्टान को हटाना जरूरी होता है, उसके बाद ही खनिज तक पहुंचा जा सकता है।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) खदान के ऊपर पड़े चट्टान से बनी रेत पहल के तहत अपनी ओपन कास्ट खदानों में अपशिष्ट ओवरबर्डन का प्रसंस्करण करेगी।
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”सीआईएल ने खानों में रेत उत्पादन के लिए खदानों के ऊपर पड़े चट्टानों के प्रसंस्करण की योजना बनाई है। इन चट्टानों में लगभग 60 प्रतिशत बलुआ पत्थर होता है, जिसे क्रशिंग और प्रसंस्करण के जरिए तैयार किया जा सकता है।
पांच प्रस्तावित संयंत्रों में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के बल्लारपुर संयंत्र में मई तक रेत उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
इसके अलावा चार संयंत्र – डब्ल्यूसीएल, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) में से प्रत्येक निविदा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
सीआईएल ने सहायक कंपनियों में इसी तरह की पहल को तेज करने के लिए एक मॉडल बोली दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें व्यापक भागीदारी के लिए नियम और शर्तों को संशोधित किया गया है।
बयान के अनुसार सफल बोलीदाता को उत्पादित रेत का बिक्री मूल्य और विपणन के तौर-तरीके तय करने की आजादी होगी।
भाषा पाण्डेय रमण
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