वाणिज्य सचिव जाएंगे अमेरिका, भारत ऊर्जा आयात बढ़ाने को तैयार

वाणिज्य सचिव जाएंगे अमेरिका, भारत ऊर्जा आयात बढ़ाने को तैयार

वाणिज्य सचिव जाएंगे अमेरिका, भारत ऊर्जा आयात बढ़ाने को तैयार
Modified Date: October 15, 2025 / 07:04 pm IST
Published Date: October 15, 2025 7:04 pm IST

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल बृहस्पतिवार को व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल होंगे। इस दौरान भारत ने अमेरिका से ऊर्जा आयात बढ़ाने का संकेत दिया है।

अमेरिका से ऊर्जा मुख्य रूप से कच्चे तेल की खरीद पिछले सात-आठ साल में 25 अरब डॉलर से घटकर लगभग 12-13 अरब डॉलर रह गई है।

अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसलिए, लगभग 12-15 अरब डॉलर की गुंजाइश है, जिसे हम रिफाइनरियों की संरचना की चिंता किए बिना खरीद सकते हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘और यह एक द्विपक्षीय प्रतिबद्धता है और हम जिन चर्चाओं में हैं, उनमें हमने बहुत सकारात्मक रूप से संकेत दिया है कि एक देश के रूप में भारत ऊर्जा आयात के संबंध में अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहेगा। भारत जैसे बड़े खरीदार के लिए यह सबसे अच्छी रणनीति है।’’

यह बयान महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अमेरिका से अधिक कच्चा तेल खरीदने से भारत के साथ वस्तु व्यापार घाटे पर अमेरिका की चिंताएं दूर होंगी। अमेरिका का व्यापार घाटा 2024-25 में 45.8 अरब डॉलर था।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘एक देश के तौर पर, हमें अमेरिका से और ऊर्जा खरीदने में बहुत खुशी होगी, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि यह उचित कीमत पर उपलब्ध हो।’’

भारतीय टीम व्यापार वार्ता के लिए पहले ही वाशिंगटन में है और अग्रवाल बृहस्पतिवार को उनसे मिलेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी वार्ता टीम पहले से ही अमेरिका में है और यह देखने की कोशिश कर रहा है कि क्या हम दोनों पक्षों के लिए एक ऐसा समाधान निकाल सकते हैं जो शुल्क से जुड़े कुछ मुद्दों को सुलझा सके।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह वार्ता का औपचारिक दौर है, तो सचिव ने कहा कि अमेरिका में कामकाज ठप (शटडाउन) है और इस वजह से उनका कार्यबल कम है क्योंकि वे काम नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, अभी पूरी बातचीत करने का सही समय नहीं है। हालांकि, दोनों पक्षों में एक हलचल है जहां हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मौजूदा व्यापार चुनौतियों का समाधान करने का कोई रास्ता है। दोनों पक्ष यह देखने के लिए चर्चा कर रहे हैं कि क्या कोई समाधान है।’’

भाषा रमण अजय

अजय


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