नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आम्रपाली समूह की कंपनियों के पूर्व वैधानिक लेखा परीक्षक की मेडिकल जमानत आठ सप्ताह के लिए बढ़ा दी और उनकी जांच के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने सर गंगा राम अस्पताल की 23 अगस्त की रिपोर्ट पर विचार किया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता अनिल मित्तल को सार्वजनिक शौचालयों और बाहर के खानपान से बचना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘परिस्थितियों को देखते हुए हमारा विचार है कि चिकित्सा जमानत को कुछ समय के लिए बढ़ाना चाहिए। प्रतिवादी को बोर्ड के गठन के लिए एम्स में जरूरी व्यवस्था करनी होगी और याचिकाकर्ता को एक महीने के बाद सूचित किया जाएगा कि उसे बोर्ड को कब रिपोर्ट करना है। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट हमारे सामने रखी जाएगी। मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी। अंतरिम चिकित्सा जमानत अगली तारीख तक बढ़ा दी गई है।’’
मित्तल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि वह विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और डॉक्टरों ने उन्हें ठीक होने के लिए उचित देखभाल की सलाह दी है।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि चूंकि आम्रपाली समूह की कंपनियों के पूर्व वैधानिक लेखा परीक्षक को पिछले नवंबर में चिकित्सा आधार पर जमानत मिली थी और उनकी जमानत बार-बार बढ़ाई गई। राजू ने कहा कि उनके मुताबिक मित्तल की सेहत बेहतर है।
पीठ ने कहा, ‘‘जिस समय (कोविड महामारी की दूसरी लहर) वह जमानत पर थे, वह उसके लिए नहीं बल्कि सभी के लिए एक कठिन दौर था। उन्होंने भले ही कुछ गलत किया हो, हमें उसके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।’’
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 23 जुलाई 2019 को कहा था कि 2015 से 2018 के दौरान कोई लेखा तैयार नहीं किया गया और इस दौरान निकाली गई धनराशि का अन्यत्र इस्तेमाल किया गया।
भाषा
पाण्डेय महाबीर
महाबीर
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