कोलकाता, चार अक्टूबर (भाषा) नाबार्ड के अध्यक्ष जीआर चिंताला ने सोमवार को कहा कि किसानों के उत्पादक संगठन (एफपीओ) भारत में बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं जो उन्हें (किसानों को) एक अच्छी कीमत प्राप्त करने में बहुत मदद करेंगे।
बीसीसीआई द्वारा आयोजित एक वेबिनार में चिंताला ने कहा कि एफपीओ भारतीय खेती में नया प्रतिमान है। आज देश में लगभग 10,000 एफपीओ हैं, जिनमें से 5000 को नाबार्ड ने बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह देखा गया है कि एफपीओ से जुड़े किसानों को 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक अतिरिक्त लाभ मिलता है। किसानों को कम कीमत पर लागत सामग्रियां मिल रही है और बिक्री के लिए अधिक मूल्य की प्राप्ति हो रही है।’’
चिंताला ने कहा कि नाबार्ड द्वारा प्रवर्तित 5000 एफपीओ में से 2500 निवेश ग्रेड में चले गए हैं।
नाबार्ड के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इन निवेश ग्रेड एफपीओ को बैंकिंग प्रणाली और नवकिसान फाइनेंस से पैसा मिल रहा है।’’
उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ ने दाल जैसे तैयार उत्पाद बनाकर मूल्यवर्धन भी शुरू कर दिया है। इन तैयार उत्पादों को अब बड़े खुदरा विक्रेताओं द्वारा खरीदा जा रहा है।
नाबार्ड प्रमुख ने कहा कि इन संगठनों के बनने से दुग्ध उत्पादन भी बढ़ा है।
किसानों द्वारा बाजारों तक पहुंचने कायम करने के संबंध में, उन्होंने कहा कि ये एफपीओ उपज को बिक्री बिंदुओं तक ले जाने के लिए पिकअप वैन की भी व्यवस्था कर रहे हैं।
चिंताला ने कहा कि पश्चिम बंगाल को भी एफपीओ की सफलता की कहानियों पर गौर करना चाहिए और उन्हें सक्रिय रूप से बढ़ावा देना चाहिए।
चूंकि पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसान हैं, जबकि उत्पादकता बहुत अधिक है, इसलिए एफपीओ एक व्यवहारिक विकल्प बन जाएगा।
एक एफपीओ के सदस्यों की संख्या के बारे में उन्होंने कहा कि छोटी सदस्यता से अधिक मूल्य नहीं मिलेगा और संख्या बढ़ाने के लिए एक अभियान चलाया जाना चाहिए।
चिंताला ने यह भी कहा कि एफपीओ को पेशेवर तरीके से चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ एफपीओ ने सीईओ को रखा है जो या तो आईआरएमए या आईआईएम से स्नातक हैं। ये लोग संगठन को चला सकते हैं और पेशेवर रवैया दे सकते हैं।’’
चिंताला ने कहा कि नए कृषि कानूनों में किसी भी जगह को उपज बेचने के लिए बाजार बनाने का प्रावधान है।
उन्होंने यह भी कहा कि एफपीओ को मूल्यांकन, ब्रांडिंग, अत्याधुनिक पैकेजिंग अपनाने की ओर जाना चाहिए और एफएसएसएआई मानकों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चूंकि कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, इसलिए एफपीओ को अपने कार्यों को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सदस्य-किसान का संगठन में समान हिस्सा होना चाहिए।
भाषा राजेश राजेश मनीषा
मनीषा
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