नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि पानी की अधिक खपत को कम करने के लिए भारतीय किसानों को धान (चावल) की जगह मोटे अनाज की खेती की ओर जाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि केंद्र के प्रमुख पोषण अभियान में केवल मोटा अनाज दिया जाना चाहिए।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि मोटा अनाज, पौष्टिक और सूक्ष्म पोषक तत्वों, विशेष रूप से प्रोटीन से भरपूर होता है, और भारत में इसकी खपत को उच्चस्तर तक बढ़ाने की चुनौती है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत को चावल और गेहूं की खेती से अधिक से अधिक दूर जाने और अधिक से अधिक मोटा अनाज के उत्पादन एवं निर्यात की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मोटे अनाज की खेती से भी पानी बचाने में मदद मिलेगी।’’
कांत ने कहा कि मोटे अनाज को भारत का ‘सुपरफूड’ बनाने में निजी क्षेत्र को अहम भूमिका निभाने की जरूरत है।
नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ने कहा, ‘‘सभी पोषण अभियान योजनाओं में केवल मोटे अनाज दिया जाना चाहिए।’’
वर्ष 2018 में केंद्र ने मिशन अभियान के तहत कुपोषण से लड़ने के लिए राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करने तथा कार्रवाई करने के लिए अपना प्रमुख कार्यक्रम पोषण (समग्र पोषण के लिए प्रधान मंत्री की व्यापक योजना) अभियान शुरू किया।
इस कार्यक्रम में कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि मोटा अनाज भारत का पारंपरिक भोजन है और इसे बहुत कठिन क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने मोटे अनाज-आधारित उत्पादों को बेचने के लिए अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की भी तलाश कर रहे हैं। हाल ही में 5-6 भारतीय कंपनियों ने ब्रसेल्स में एक प्रदर्शनी में अपने मोटे अनाज-आधारित उत्पादों का प्रदर्शन किया।’’
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सीईओ जी कमला वर्धन राव ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि जेलों में भी मोटा अनाज परोसा जाना चाहिए।
राव ने कहा कि मोटा अनाज मेला 100 शहरों में आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्कूलों में भी हेल्थ क्लब शुरू करने की योजना बनाई है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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