मजबूत मांग से चालू वित्त वर्ष में उर्वरक आयात 41 प्रतिशत बढ़ने की संभावना: एफएआई
मजबूत मांग से चालू वित्त वर्ष में उर्वरक आयात 41 प्रतिशत बढ़ने की संभावना: एफएआई
नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) ने मंगलवार को कहा कि मानसून की बेहतर बारिश के बाद घरेलू मांग में बढ़ोतरी होने से वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का उर्वरक आयात 41 प्रतिशत बढ़कर 2.23 करोड़ टन होने का अनुमान है।
उद्योग निकाय ने कहा कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उर्वरक उपभोक्ता देश भारत ने अप्रैल-अक्टूबर के दौरान एक करोड़ 44.5 लाख टन उर्वरकों का आयात किया, जो एक साल पहले के 85.6 लाख टन से लगभग 69 प्रतिशत अधिक है।
एफएआई के चेयरमैन एस. शंकरसुब्रमण्यन ने उर्वरक संघ के तीन-दिवसीय वार्षिक सम्मेलन से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘अच्छी बारिश के कारण घरेलू मांग में अचानक बढ़ोतरी होने से उर्वरकों के आयात में वृद्धि हुई है।’’
उन्होंने कहा कि नवंबर के अंत तक उर्वरक स्टॉक 1.02 करोड़ टन था, जबकि एक साल पहले यह 99.7 लाख टन था। इसमें 50 लाख टन यूरिया, 17 लाख टन डीएपी और 35 लाख टन एनपीके उर्वरक शामिल हैं।
कोरोमंडल इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक शंकरसुब्रमण्यन ने कहा कि भारत ने पिछले दो महीनों में बड़ी मात्रा में अनुबंध किए हैं और उर्वरकों की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है।
उन्होंने कहा कि खरीफ मौसम के दौरान कुछ जगहों पर कमी थी, लेकिन कुल मिलाकर आपूर्ति पर्याप्त रही।
एफएआई के आंकड़ों से पता चला है कि अप्रैल-अक्टूबर में घरेलू उर्वरक उत्पादन मामूली रूप से बढ़कर दो करोड़ 99.7 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले दो करोड़ 97.5 लाख टन था।
उत्पादन में एक करोड़ 71.3 लाख टन यूरिया, 23.2 लाख टन डीएपी, 70.4 लाख टन एनपीके उर्वरक और 34.8 लाख टन एसएसपी शामिल थे।
उर्वरक संघ ने कहा कि 150 से अधिक कंपनियां भारत की पोषक तत्वों की लगभग तीन-चौथाई जरूरतों को पूरा करती हैं, बाकी आयात से पूरी होती हैं।
लगभग 14 करोड़ से अधिक किसान परिवारों वाला भारत सालाना लगभग सात करोड़ टन उर्वरक का उपभोग करता है, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
सरकार ने वर्ष 2024-25 में यूरिया और पोषक तत्व-आधारित ढांचे के माध्यम से 1.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी प्रदान की।
एफएआई ने कहा कि आपूर्ति सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए भारत ने सऊदी अरब, जॉर्डन, मोरक्को, कतर और रूस जैसे संसाधन-संपन्न देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी की है।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
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