सूखे में भी कारगर पहली सोयाबीन किस्म विकसित, मप्र में इसकी खेती को मिली हरी झंडी |

सूखे में भी कारगर पहली सोयाबीन किस्म विकसित, मप्र में इसकी खेती को मिली हरी झंडी

सूखे में भी कारगर पहली सोयाबीन किस्म विकसित, मप्र में इसकी खेती को मिली हरी झंडी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : September 26, 2022/7:20 pm IST

इंदौर (मध्य प्रदेश), 26 सितंबर (भाषा) मॉनसूनी बारिश न होने से पैदा हुए सूखे के हालात में इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) ने सोयाबीन फसल की रक्षा के लिए अपनी तरह की पहली किस्म विकसित की है।

देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में इस किस्म की खेती को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है और अगले खरीफ सत्र से यह किस्म खेतों में नजर आ सकती है। आईआईएसआर के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेश कुमार सातपुते ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा कि करीब 10 साल के अनुसंधान के बाद उन्होंने ‘‘एनआरसी 136’’ नामक किस्म विकसित की है जो मॉनसून सत्र के दौरान लम्बे सूखे से मुकाबले के लिए देश की अपनी तरह की पहली सोयाबीन किस्म है।

उन्होंने कहा, ‘‘सोयाबीन की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि बुआई के बाद इसकी फलियों में दाना भरते समय 20-25 दिन बारिश न होने पर भी यह किस्म तिलहन फसल की अच्छी पैदावार देती है और इस सूखे से होने वाले बड़े नुकसान से किसानों को बचाती है।’’

सातपुते के मुताबिक सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं होने के चलते मध्यप्रदेश के ज्यादातर सोयाबीन उत्पादक किसान मॉनसून की बारिश पर निर्भर है्ं। राज्य में कमोबेश हर तीन साल में एक बार ऐसे हालात बनते हैं, जब बुआई के बाद मॉनसून के सूखे अंतराल से अन्नदाताओं को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘अगर सोयाबीन की फलियों में दाना भरने की प्रक्रिया के दौरान मॉनसून की बारिश नहीं होती है तो जाहिर तौर पर दानों का आकार छोटा रह जाता है। इससे किसानों को पैदावार में 40 से 80 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पड़ता है।’’

सातपुते ने कहा कि सोयाबीन की यह ‘‘एनआरसी 136’’ किस्म 102 दिनों में पकती है और इसकी औसत उपज 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। उन्होंने बताया कि यह किस्म पीला मोजेक वायरस और पत्ती खाने वाली इल्ली से मध्यम स्तर की प्रतिरोधक क्षमता भी रखती है।

सातपुते ने बताया कि ‘‘एनआरसी 136’’ को देश के पूर्वी हिस्से में खेती के लिए पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।

भाषा हर्ष नेत्रपाल प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)