सरकार ने पेट्रोल, डीजल के निर्यात पर कर लगाया, कच्चे तेल पर भी लगा शुल्क |

सरकार ने पेट्रोल, डीजल के निर्यात पर कर लगाया, कच्चे तेल पर भी लगा शुल्क

सरकार ने पेट्रोल, डीजल के निर्यात पर कर लगाया, कच्चे तेल पर भी लगा शुल्क

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : July 1, 2022/4:29 pm IST

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) सरकार ने पेट्रोल, डीजल-पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर शुक्रवार को कर लगा दिया। इसके अलावा ब्रिटेन जैसे कुछ देशों की तरह भारत ने स्थानीय स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल से होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर भी कर लगा दिया है।

वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया कि सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर तथा डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर की दर से कर लगाया है। नई दरें एक जुलाई से प्रभावी हो गई हैं।

इसके अलावा कच्चे तेल के घरेलू स्तर पर उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन की दर से कर लगाया गया है।

निर्यात कर लगाने का मकसद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रोसनेफ्ट की नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों को विदेशों में निर्यात को प्राथमिकता देने से रोकना और घरेलू आपूर्ति बढ़ाना है।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं जिसका लाभ उन घरेलू उत्पादकों को मिला है जो घरेलू रिफाइनरियों को अंतरराष्ट्रीय दामों के बराबर मूल्य पर तेल बेचते हैं।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप, कच्चे तेल के घरेलू उत्पादकों को अप्रत्याशित लाभ मिल रहा है। इसे देखते हुए कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन की दर से उपकर लगाया गया है।’’

बयान के अनुसार, ‘‘ऐसे छोटे उत्पादक जिनका कच्चे तेल का वार्षिक उत्पादन बीते वित्त वर्ष में 20 लाख बैरल से कम था, उन्हें इस नए उपकर से छूट मिलेगी।’’

इस कर से पहले तक सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) और ऑयल इंडिया लिमिटेड तथा निजी क्षेत्र की वेदांता लिमिटेड की केयर्न ऑयल एंड गैस की रिकॉर्ड आय हुई थी।

देश में तीन करोड़ टन कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर कर लगाने से सरकार को सालाना 7,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाई होगी।

ब्रिटेन ने नॉर्थ सी तेल एवं गैस उत्पादन से होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर 25 फीसदी कर लगाया हुआ है।

भारत सरकार ने मुद्रास्फीति दबाव को कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी जिसके कारण सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

निर्यात कर इस लिहाज से लगाया गया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी जैसी रिफाइनरी यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर तेल किल्लत का सामना कर रहे यूरोप और अमेरिका जैसे क्षेत्रों में ईंधन का निर्यात करके खासा लाभ कमा रही हैं।

सरकार ने नए नियम भी बनाए हैं जिनके तहत पेट्रोल का निर्यात करने वाली तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में विदेशी बिक्री का 50 फीसदी तेल घरेलू बाजार में बेचना होगा। डीजल के लिए यह सीमा निर्यात का 30 फीसदी रखी गई है।

निर्यात कर लगाने का एक उद्देश्य पेट्रोल पंपों पर घरेलू आपूर्ति बेहतर करना भी है क्योंकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ईंधन की कमी का संकट खड़ा है और निजी रिफाइनरी ईंधन की स्थानीय स्तर पर बिक्री करने के बजाए इसके निर्यात को प्राथमिकता दे रही हैं।

मंत्रालय ने किसी कंपनी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘कंपनियां इन उत्पादों का वैश्विक स्तर के दामों के बराबर मूल्य पर निर्यात करती हैं जो कि बहुत अधिक है। निर्यात से बहुत अधिक लाभ मिलने के कारण ऐसा देखने में आ रहा है कि कुछ कंपनियां घरेलू बाजार में पंपों पर आपूर्ति नहीं कर रही हैं।’’

उसने आगे कहा, ‘‘इन कदमों का डीजल और पेट्रोल की घरेलू खुदरा कीमतों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। घरेलू खुदरा कीमतें अपरिवर्तित रहेंगी। इसके साथ ही इन उपायों से पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।’’

भाषा मानसी रमण प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)