ग्रीनको कुर्नूल परियोजना से आर्सेलरमित्तल, अयाना, तीन राज्यों को करेगी हरित ऊर्जा की आपूर्ति |

ग्रीनको कुर्नूल परियोजना से आर्सेलरमित्तल, अयाना, तीन राज्यों को करेगी हरित ऊर्जा की आपूर्ति

ग्रीनको कुर्नूल परियोजना से आर्सेलरमित्तल, अयाना, तीन राज्यों को करेगी हरित ऊर्जा की आपूर्ति

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:07 PM IST, Published Date : May 22, 2022/2:00 pm IST

कुर्नूल (आंध्र प्रदेश), 22 मई (भाषा) ग्रीनको समूह आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में स्थापित किए जा रहे अपने नए संयंत्र से आर्सेलरमित्तल और अयाना रिन्यूएबल पावर के अलावा तीन राज्यों को हरित ऊर्जा की आपूर्ति करेगा।

कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक महेश कोल्ली ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि 5,230 मेगावॉट वाले नवीकरणीय संयंत्र के निर्माण पर करीब तीन अरब डॉलर की लागत आने का अनुमान है। यह दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण परियोजना है।

दिग्गज इस्पात उत्पादक कंपनी आर्सेलरमित्तल ने इस परियोजना के तहत 1,000 मेगावॉट क्षमता तैयार करने पर 60 करोड़ डॉलर का निवेश किया है।

परियोजना की कुल 5,230 मेगावॉट क्षमता में से 3,000 मेगावॉट सौर ऊर्जा, 550 मेगावॉट पवन ऊर्जा और बाकी 1,680 मेगावॉट पंप भंडारण क्षमता की होगी। इस परियोजना की दैनिक भंडारण क्षमता 10,800 मेगावॉट की होगी।

कोल्ली ने कहा, ‘‘इस परियोजना से पैदा होने वाली नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति आर्सेलरमित्तल, अयाना के अलावा राजस्थान, पश्चिम बंगाल एवं बिहार की बिजली वितरण कंपनियों को की जाएगी।’’

उन्होंने बताया कि आर्सेलरमित्तल गुजरात के हजीरा में स्थित अपने संयंत्र के लिए 250 मेगावॉट बिजली लेगी जबकि अयाना रिन्यूएबल पावर 550 मेगावॉट बिजली लेगी। बाकी बिजली तीनों राज्यों की वितरण कंपनियों को दी जाएगी।

ग्रीनको ग्रुप के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक अनिल चेलमलासेत्ती ने कहा कि हरित ऊर्जा की आपूर्ति के लिए अधिकांश बिजली खरीद समझौते (पीपीए) संपन्न हो चुके हैं। हालांकि उन्होंने इस समझौते की शुल्क दरों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 तक इस परियोजना का परिचालन शुरू हो जाने की उम्मीद है। इसके पूरी तरह चालू हो जाने पर 1.5 करोड़ टन कार्बन डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस परियोजना के साथ हमने ऊर्जा भंडारण की संकल्पना की शुरुआत की है। राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य सरकार के नीतिगत समर्थन से ही ऐसा संभव हो पाया।’’

भाषा

प्रेम अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)