तिरूवनंतपुरम, 16 सितंबर (भाषा) केरल ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करेगा क्योंकि इससे राज्य के राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
राज्य ने कहा कि इसके बजाए केंद्र को आम लोगों को राहत देने के लिये ईंधन पर केंद्रीय करों को कम करना चाहिए।
पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट (मूल्य वर्धित कर) आधे के करीब योगदान है। ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों के राजस्व संग्रह पर असर पड़ेगा।
केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई कदम उठाया जाता है, राज्य उसका पुरजोर विरोध करेगा।
उन्होंने कहा कि ईंधन के दाम में तेजी का कारण केंद्र की तरफ से उपकर में वृद्धि है। अगर केंद्र इस उपकर को कम कर दे, इससे पेट्रोल और डीजल के दाम नीचे लाने में मदद मिलेगी।
बालागोपाल ने कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, राज्य को सालाना 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
जीएसटी परिषद की शुक्रवार को लखनऊ में बैठक होने वाली है।
भाषा
रमण महाबीर
महाबीर
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