अमेरिकी शुल्क के तात्कालिक प्रभाव सीमित, द्वितीयक और तृतीयक प्रभावों से निपटना चुनौतीः रिपोर्ट
अमेरिकी शुल्क के तात्कालिक प्रभाव सीमित, द्वितीयक और तृतीयक प्रभावों से निपटना चुनौतीः रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) अमेरिका की तरफ से भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के बीच वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसका तात्कालिक प्रभाव भले ही सीमित हो सकता है लेकिन इसके द्वितीयक एवं तृतीयक प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न कर सकते हैं जिनसे देश को निपटना जरूरी होगा।
वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। हालांकि इस रिपोर्ट में इन मुद्दों के समाधान के लिए भारत एवं अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर जारी वार्ताओं को महत्वपूर्ण बताया गया है।
भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत शुल्क की व्यवस्था 27 अगस्त से प्रभावी होने का असर भारत के 48 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के निर्यात पर पड़ेगा। इससे वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते-चप्पल, पशु उत्पाद, रसायन तथा विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी जैसे क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित होंगे।
वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हालांकि इन शुल्कों का तात्कालिक प्रभाव सीमित लग सकता है, लेकिन इनके द्वितीयक एवं तृतीयक प्रभावों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान किया जाना जरूरी है। इस संदर्भ में भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापार वार्ताएं अत्यंत महत्वपूर्ण होंगी।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, वैश्विक व्यापार में विविधता और नए रणनीतिक संयोजन की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इसके तहत ब्रिटेन एवं ईएफटीए समूह के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पूरे हो चुके हैं और अमेरिका, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, चिली एवं पेरू के साथ वार्ताएं जारी हैं।
हालांकि रिपोर्ट कहती है, ‘इन प्रयासों का असर दिखने में समय लगेगा और ये अमेरिकी बाजार को हमारे निर्यात में संभावित गिरावट की भरपाई तुरंत नहीं कर पाएंगे।’
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है और हाल में एसएंडपी का इसकी रेटिंग को बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर देना इसका प्रमाण है। यह भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद, नीतिगत स्थिरता, और ढांचागत निवेश के प्रति भरोसे को दर्शाता है।
घरेलू मोर्चे पर रिपोर्ट कहती है कि औसत से अधिक बारिश और खरीफ फसलों की बेहतर बुवाई के कारण निकट भविष्य में मुद्रास्फीति नियंत्रित रहने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर तेल की स्थिर कीमतें और जिंस कीमतों पर दबाव भी कीमतों को संतुलित रखने में मददगार हो सकते हैं।
रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अगली पीढ़ी के सुधारों पर कार्यबल के गठन, जीएसटी सुधार, तथा पीएम विकसित भारत रोजगार योजना जैसी पहलों का उल्लेख किया गया है।
वित्त मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा है कि ये उपाय निवेश को प्रोत्साहित करने, खपत को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और लंबी अवधि में आर्थिक विश्वास को मजबूत करेंगे।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण

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