भारत और स्वीडन ने इस्पात एवं सीमेंट क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए मिलाया हाथ

भारत और स्वीडन ने इस्पात एवं सीमेंट क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए मिलाया हाथ

भारत और स्वीडन ने इस्पात एवं सीमेंट क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए मिलाया हाथ
Modified Date: December 9, 2025 / 11:37 am IST
Published Date: December 9, 2025 11:37 am IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) टाटा स्टील जैसी अग्रणी भारतीय कंपनियों ने घरेलू इस्पात एवं सीमेंट क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सात परियोजनाएं शुरू करने के लिए स्वीडिश प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों के साथ हाथ मिलाया है।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जैसे-जैसे भारत 2070 तक अपने शुद्ध-शून्य लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, देश के बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक विकास एवं दीर्घकालिक जलवायु महत्वाकांक्षाओं को समर्थन देने के लिए इन कठिन क्षेत्रों से उत्सर्जन को कम करना आवश्यक होगा।

इन परियोजनाओं में इस्पात निर्माण के लिए रोटरी भट्टों में हाइड्रोजन का उपयोग, हरित सीमेंट के उत्पादन के लिए ‘स्टील स्लैग’ का पुनर्चक्रण तथा सीमेंट के कार्बन मुक्त होने में सहायता के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) का उपयोग शामिल है।

 ⁠

इसमें कहा गया कि प्रमुख आईटी उद्योग परिवर्तन साझेदारी के तहत भारत में ‘प्री-पायलट’ (शुरुआती परीक्षण) व्यवहार्यता अध्ययन करने के लिए सात नवीन परियोजनाओं का चयन किया गया है। इन्हें भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और स्वीडिश ऊर्जा एजेंसी से वित्त पोषण प्राप्त होगा।

अग्रणी भारतीय एवं वैश्विक कंपनियां, अनुसंधान संस्थान तथा प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तक भारत के इस्पात एवं सीमेंट क्षेत्रों के लिए इन सात कार्बन मुक्त (डीकार्बोनाइजेशन) परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रमुख प्रतिभागियों में टाटा स्टील, जेके सीमेंट, अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड, जिंदल स्टील, प्रिज्म जॉनसन, सेमविजन के साथ-साथ स्वीडिश प्रौद्योगिकी अग्रणी कंथल तथा स्वेरिम शामिल हैं।

बयान में कहा गया कि भारत के शीर्ष संस्थान आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी-आईएसएम धनबाद, आईआईटी भुवनेश्वर, आईआईटी हैदराबाद और दत्ता मेघे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग इन सात परियोजनाओं में भागीदार हैं।

भाषा निहारिका

निहारिका


लेखक के बारे में