भारत को खंडित वैश्विक गठबंधनों के बीच अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना होगा: अदाणी

भारत को खंडित वैश्विक गठबंधनों के बीच अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना होगा: अदाणी

भारत को खंडित वैश्विक गठबंधनों के बीच अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना होगा: अदाणी
Modified Date: December 9, 2025 / 01:23 pm IST
Published Date: December 9, 2025 1:23 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

(नमिता तिवारी)

धनबाद (झारखंड), नौ दिसंबर (भाषा) अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि भारत की संप्रभुता उसकी धरती में समाए संसाधनों पर नियंत्रण करने पर निर्भर करती है और देश को खंडित वैश्विक गठबंधनों के बीच अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना होगा।

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धनबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के 100वें स्थापना दिवस समारोह में अदाणी ने कहा कि दुनिया भर के देश विशुद्ध रूप से अपने स्वार्थ के हिसाब से काम कर रहे हैं, ऐसे में भारत को अपनी वृद्धि को बढ़ावा देने वाली ऊर्जा प्रणालियों में महारत हासिल करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में भारत की संप्रभुता, देश के प्राकृतिक संसाधनों एवं ऊर्जा प्रणालियों पर उसके नियंत्रण पर निर्भर करेगी। भारत को एक ऐसे विश्व में, जहां राष्ट्रीय आत्म-संरक्षण और वैश्विक गठबंधनों में दरार बढ़ती जा रही है, अपना विकास पथ स्वयं तैयार करना होगा।’’

अदाणी ने कहा कि भारत को इतिहास से सीख लेनी चाहिए…जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा के विश्व-प्रसिद्ध ज्ञान केंद्र को आग लगाकर नष्ट कर दिया था और बाद में अंग्रेजों ने अपनी व्यवस्था लाकर भारत को अपने हिसाब से ढालने और उसे कमजोर करने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत ‘‘भारत सपने नहीं बेचता, वह सपनों को हकीकत में बदलता है।’’

अदाणी ने ‘‘कथात्मक उपनिवेशीकरण’’ को लेकर आगाह करते हुए कहा कि ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले देश अब यह बताना चाहते हैं कि भारत को किस प्रकार विकास करना चाहिए जबकि भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व में सबसे कम है।

अदाणी समूह के चेयरमैन ने जोर देकर कहा कि भारत को वही करना चाहिए जो उसके लिए सबसे अच्छा हो। अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना, बाहरी दबावों का विरोध करना और संसाधनों, ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी में संप्रभु क्षमताएं विकसित करना..।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपनी बात को अपने हिसाब से पेश नहीं करेंगे तो हमारी आकांक्षाएं अमान्य हो जाएंगी और अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के हमारे अधिकार को वैश्विक अपराध के रूप में दिखाया जाएगा।’’

वैश्विक आंकड़ों का हवाला देते हुए अदाणी ने कहा कि निर्धारित समय से पहले 50 प्रतिशत से अधिक गैर-जीवाश्म स्थापित बिजली क्षमता हासिल करने के बाद भी भारत दुनिया के सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जक देशों में से एक बना हुआ है।

अदाणी ने साथ ही कहा कि आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की स्थापना के साथ एक राष्ट्रीय दूरदर्शिता का जन्म हुआ।

एक सदी से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन के दौरान भी खनन एवं भूविज्ञान में भारत की क्षमताओं को विकसित करने के लिए इस संस्थान की स्थापना की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा कि यह एक गहरी सभ्यतागत समझ को दर्शाता है कि कोई भी राष्ट्र अपनी धरती की ताकत को समझे बिना उन्नति नहीं कर सकता।

अदाणी ने आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए 50 वार्षिक सशुल्क इंटर्नशिप और संस्थान में अदाणी 3एस माइनिंग एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना की भी घोषणा की।

उन्होंने कहा, ‘‘ लोग खनन को पुरानी अर्थव्यवस्था कह सकते हैं लेकिन इसके बिना किसी नयी अर्थव्यवस्था का वजूद नहीं है।’’

गौरतलब है कि अदाणी भारत के पहले संस्थापक एवं पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं जिन्होंने किसी व्यावसायिक समूह का बाजार पूंजीकरण 200 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुंचाया है।

भाषा निहारिका गोला

गोला


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