नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने मंगलवार को कहा कि ओईसीडी से अमेरिका के अलग होने के फैसले के बाद भारत इस तरह के वैश्विक कर समझौते में शामिल होने के लाभ का मूल्यांकन करेगा।
पांडेय ने कहा कि आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) से अमेरिका के अलग होने के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कदम से इस वैश्विक समझौते को लागू कर पाना अव्यावहारिक हो गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद जारी एक राष्ट्रपति ज्ञापन में कहा था कि ओईसीडी का अमेरिका के भीतर कोई प्रभाव नहीं है। इस तरह से ओईसीडी द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफे पर न्यूनतम 15 प्रतिशत कर लगाने के लिए 140 देशों को एक ही मंच पर लाने की अबतक की पहल निष्प्रभावी हो गई है।
पांडेय ने वैश्विक कर समझौते पर भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अमेरिका के बाहर निकलने से अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है और अगर अमेरिका इसमें शामिल नहीं होता है, तो ऐसा समझौता कारगर नहीं हो पाएगा।
उन्होंने उद्योग मंडल एसोचैम के साथ बजट पर आयोजित एक परिचर्चा में कहा कि कर समझौता एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण है, जिसमें अमेरिका की बहुत जरूरत है।
वित्त सचिव ने कहा, ‘‘अब अगर अमेरिका इससे बाहर निकल रहा है तो इसे पूरी तरह लागू करना अव्यावहारिक होगा। हमारे इस समझौते को लेकर पहले कुछ ऐतराज थे लेकिन हम मोटे तौर पर उन आपत्तियों के साथ आम सहमति की तरफ बढ़ गए थे।’’
पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस समझौते को लेकर हमने कोई विधायी उपाय नहीं किया है। अगर अमेरिका इस प्रक्रिया से हट जाता है, तो मुझे लगता है कि हमें इसका मूल्यांकन करना होगा कि इस समझौते से क्या लाभ होगा।’’
करीब 140 देशों ने वर्ष 2021 में ओईसीडी के वैश्विक कर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य वैश्विक कर प्रतिस्पर्धा के ‘सबसे निचले स्तर की तरफ होड़’ वाले नजरिये को संबोधित करना और सीमापार कर से बचने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना था।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)