नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने मवेशियों के टीकों की आपूर्ति श्रृंखला को डिजिटल बनाने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस पहल का मकसद टीकों से जुड़ी ‘कोल्ड चेन’ प्रबंधन प्रक्रिया पर नजर रखना है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि समझौता ज्ञापन का उद्देश्य भारत में पशुधन कंपनियों के बड़े नेटवर्क में वास्तविक समय में टीके के भंडारण तापमान और स्टॉक की निगरानी के लिए कृत्रिम मेधा जैसी तकनीक का उपयोग करना है।
पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने कहा, ‘‘संपूर्ण वैक्सीन भंडार प्रबंधन प्रणाली के डिजिटलीकरण से वैक्सीन आपूर्ति में असमानताओं को दूर किया जा सकेगा।’’
उन्होंने कहा कि टीके से जुड़ी ‘कोल्ड चेन’ प्रबंधन प्रक्रिया की निगरानी यूएनडीपी द्वारा विकसित एनिमल वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (एवीआईएन) के माध्यम से नये जमाने की तकनीक और कृत्रिम मेधा (एआई) की मदद से की जाएगी।
भारत में यूएनडीपी की स्थानीय प्रतिनिधि केटलीन विसेन ने कहा कि इस कदम से मवेशी स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत होगी और मानव-पशु-पर्यावरण से जुड़े जोखिम कम होंगे।
भारत में पशुधन की आबादी लगभग 140 करोड़ है और डीएएचडी का लक्ष्य इस वर्ष लगभग 70 करोड़ पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग को लेकर टीकाकरण करना है। इस पर लगभग 900 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
भाषा रमण अजय
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