भारत का सूती धागा, कपड़ा निर्यात बीते वित्त वर्ष में सात प्रतिशत बढ़कर 11.7 अरब डॉलर पर

भारत का सूती धागा, कपड़ा निर्यात बीते वित्त वर्ष में सात प्रतिशत बढ़कर 11.7 अरब डॉलर पर

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  • Publish Date - April 26, 2024 / 08:18 PM IST,
    Updated On - April 26, 2024 / 08:18 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) देश का सूती धागा, कपड़ा/ मेड अप और हथकरघा उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में सालाना आधार पर 6.71 प्रतिशत बढ़कर 11.7 अरब डॉलर का रहा। वित्त वर्ष 2022-23 में कुल निर्यात में तीन प्रतिशत की गिरावट आई थी।

‘मेड अप’ कपड़ा उत्पादों में चादर, कालीन, तकिये का कवर आदि आता है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में ये निर्यात 6.78 प्रतिशत बढ़कर एक अरब डॉलर का हो गया।

वित्त वर्ष 2022-23 में ये निर्यात 10.95 अरब डॉलर का रहा था। यह मंत्रालय के नजर रखने जाने वाली 30 प्रमुख उत्पाद श्रेणियों में से एक है।

पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस क्षेत्र के लिए शीर्ष पांच निर्यात बाजार अमेरिका, बांग्लादेश, चीन, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) रहे।

भारत के कुल सूती धागे, कपड़े/मेड-अप और हथकरघा उत्पाद निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 25 प्रतिशत से अधिक है। इसके बाद बांग्लादेश (16 प्रतिशत), चीन (6.6 प्रतिशत), श्रीलंका (4.4 प्रतिशत) और यूएई (2.35 प्रतिशत) हैं।

वित्त वर्ष 2023-24 में पूर्वी कैरिबियाई में सर्बिया, जॉर्जिया, स्वीडन, साइप्रस, अजरबैजान और ईरान जैसे नए भौगोलिक क्षेत्रों में भी निर्यात हुआ।

इस क्षेत्र के घरेलू निर्यातकों द्वारा खोजे गए अन्य नए बाजारों में जाम्बिया, कोटे डिवोरे, सिएरा लियोन और रूस शामिल हैं।

एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि ब्राजील और वियतनाम संभावनाओं से भरे बाजार हैं, जहां इनका निर्यात किया जा सकता है।

औसतन, भारत हर महीने एक अरब डॉलर के इन उत्पादों का निर्यात करता है।

अनुमानों के अनुसार, भारत वैश्विक स्तर पर कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और इसकी कुल वैश्विक कपास उत्पादन में 23 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

निर्यात की यह श्रेणी देश के श्रम-गहन वस्त्र निर्यात को बढ़ाने में योगदान दे रही है।

निर्यातकों का लक्ष्य वर्ष 2030 तक कपड़ा निर्यात को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक करने का है।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का कुल वस्तु निर्यात 3.11 प्रतिशत घटकर 437 अरब डॉलर रहा। पिछले वित्त वर्ष में आयात भी घटकर 677.24 अरब डॉलर रहा।

भाषा राजेश राजेश अनुराग रमण

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