आईसीएआर के अधिकारी ने कहा, खाद्य तेलों का औद्योगिक इस्तेमाल रोका जाए |

आईसीएआर के अधिकारी ने कहा, खाद्य तेलों का औद्योगिक इस्तेमाल रोका जाए

आईसीएआर के अधिकारी ने कहा, खाद्य तेलों का औद्योगिक इस्तेमाल रोका जाए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : May 17, 2022/9:06 pm IST

इंदौर, 17 मई (भाषा) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को खाद्य तेलों के औद्योगिक उपयोग को रोकने का आह्वान करते हुए कहा कि पेंट उद्योग देश के खाद्य तेल के लगभग 23 प्रतिशत भाग का उपभोग करता है।

आईसीएआर के सहायक महानिदेशक महानिदेशक (तिलहन और दलहन) डॉ. संजीव गुप्ता ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है कि देश का 23 प्रतिशत खाद्य तेल पेंट, वार्निश और अन्य उत्पाद बनाने वाले कारखानों में जाता है। यह आवश्यक है कि खाद्य तेल के इस औद्योगिक उपयोग को रोका जाए।’’

सोयाबीन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 52वीं वार्षिक समूह बैठक में भाग लेने के लिए यहां आए गुप्ता ने कहा कि भारत वर्तमान में खाद्य तेल की अपनी आवश्यकता का लगभग 60 प्रतिशत आयात कर रहा है और इस पर 1.17 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जहां तक ​​खाद्य तेलों की बात है तो सरकार आयात कम कर देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आईसीएआर से तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए एक कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है।

गुप्ता ने कहा कि खाद्य तेलों की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश को बाहरी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दोनों देशों से सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति बाधित हुई है।

उन्होंने कहा और कहा कि भारत आमतौर पर इन देशों से अपनी सूरजमुखी तेल की आवश्यकता का 85 प्रतिशत आयात करता है।

गुप्ता ने कहा, ‘‘हम देश में सूरजमुखी का उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं।’’

पिछले महीने पाम तेल के निर्यात पर इंडोनेशिया के प्रतिबंध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार ने ताड़ के पेड़ों के नीचे के क्षेत्र को चार लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है।

गुप्ता ने जोर देकर कहा, ‘वैज्ञानिकों को विशेष रूप से कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए जलवायु परिस्थितियों के अनुसार सोयाबीन की नई किस्में विकसित करनी चाहिए ताकि देश में इस तिलहन की खेती का विस्तार किया जा सके।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers