आईओसी, बीपीसीएल, एचपीसीएल ने बीते वित्त वर्ष में कमाया 81,000 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा

आईओसी, बीपीसीएल, एचपीसीएल ने बीते वित्त वर्ष में कमाया 81,000 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा

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  • Publish Date - May 12, 2024 / 12:22 PM IST,
    Updated On - May 12, 2024 / 12:22 PM IST

नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों पेट्रोलियम कंपनियों…इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लि.(एचपीसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) ने बीते वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 81,000 करोड़ रुपये का बंपर मुनाफा दर्ज किया है। यह तेल-संकट के पूर्व के वर्षों की उनकी सालाना कमाई से कहीं अधिक है।

अप्रैल, 2023 से मार्च, 2024 के दौरान आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल का सामूहिक रूप से एकल शुद्ध लाभ तेल संकट से पहले के वर्षों में उनकी 39,356 करोड़ रुपये की वार्षिक कमाई से बेहतर रहा है। इन कंपनियों ने शेयर बाजारों को यह जानकारी दी है।

तीनों कंपनियों ने 2023-24 में एकल और एकीकृत आधार पर अपना सबसे ऊंचा मुनाफा कमाया है।

शेयर बाजारों को दी गई जानकारी के अनुसार, आईओसी ने 2023-24 में 39,618.84 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध लाभ कमाया है। इसकी तुलना में 2022-23 में उसका एकल शुद्ध लाभ 8,241.82 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि, कंपनी यह दलील दे सकती है कि 2022-23 का उसका नतीजा तेल संकट से प्रभावित हुआ था। लेकिन संकट से पहले के वर्षों से तुलना की जाए, तो भी कंपनी का मुनाफा बेहतर रहा है। 2021-22 में कंपनी का शुद्ध लाभ 24,184 करोड़ रुपये और 2020-21 में 21,836 करोड़ रुपये रहा था।

बीपीसीएल ने वित्त वर्ष 2023-24 में 26,673.50 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है जो 2022-23 के 1,870.10 करोड़ रुपये के आंकड़े से कहीं अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 में बीपीसीएल ने 8,788.73 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था।

शेयर बाजारों को दी गई सूचना के अनुसार, एचपीसीएल का 2023-24 में शुद्ध मुनाफा 14,693.83 करोड़ रुपये रहा है। इससे पिछले वित्त वर्ष में कंपनी को 8,974.03 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। 2021-22 में कंपनी ने 6,382.63 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।

वित्त वर्ष 2022-23 में हुए नुकसान की वजह से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट में आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को उनकी ऊर्जा बदलाव योजना के लिए 30,000 करोड़ रुपये का समर्थन देने की घोषणा की थी। बाद में इस राशि को घटाकर आधा यानी 15,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था। यह समर्थन इक्विटी निवेश या राइट्स इश्यू के जरिये दिया जाना था। हालांकि, अभी तक यह समर्थन दिया नहीं गया है।

भारत के लगभग 90 प्रतिशत ईंधन बाजार को नियंत्रित करने वाली तीन कंपनियों ने ‘स्वेच्छा से’ पिछले दो वर्षों से पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया, जिसके चलते उत्पादन लागत अधिक होने की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।

तीनों पेट्रोलियम कंपनियों को अप्रैल-सितंबर, 2022 के दौरान सामूहिक रूप से 21,201.18 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।

भाषा अजय अजय

अजय