नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत के बीच भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने उसे अस्पतालों के नियमन की अनुमति देने की मांग उठाई है। इरडा ने कहा है कि बढ़ती लागत के बीच अस्पतालों के नियमन के लिए या तो उसे अनुमति दी जानी चाहिए या एक एक अलग नियामक बनाया जाना चाहिए। इरडा की एक सदस्य ने सोमवार को यह बात उठाई।
इरडा की सदस्य टी एल अलामेलु ने कहा कि एक बीमा नियामक के रूप में हम आम लोगों को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में लगातार हो रही वृद्धि से बचाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बीमा नियामक के रूप में हमें स्वास्थ्य परिवेश को विनियमित करना बहुत मुश्किल नहीं लगता। हम इसके केवल एक हिस्से का नियमन कर रहे है, जो बीमा कंपनियां हैं। बीमा कंपनियों से संबंधित तीसरा पक्ष प्रशासक यानी टीपीए है, हम अप्रत्यक्ष रूप से अस्पतालों के नियमन की कोशिश कर सकते हैं।’’
अलामेलु ने कहा, ‘‘हमारी बीमा कंपनियों पर नजर रहती है कि वे कैसे प्रीमियम बढ़ाती हैं। लेकिन दूसरी ओर सेवाप्रदाताओं के लिए कोई नियामक नहीं है। उन्हें खुला हाथ मिला हुआ है। कई ऐसे मामले रहे हैं जिसमें हमें हस्तक्षेप करना पड़ा है और राज्य सरकारों से बात करनी पड़ी है।’’
भाषा अजय अजय रमण
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