दरों में वृद्धि में ‘‘विलंब’’ को लेकर आरबीआई की आलोचना करना अनुचित: डी सुब्बाराव |

दरों में वृद्धि में ‘‘विलंब’’ को लेकर आरबीआई की आलोचना करना अनुचित: डी सुब्बाराव

दरों में वृद्धि में ‘‘विलंब’’ को लेकर आरबीआई की आलोचना करना अनुचित: डी सुब्बाराव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : May 18, 2022/1:22 pm IST

(बिजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने बुधवार को कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि में विलंब को लेकर आरबीआई की आलोचना करना अनुचित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी केंद्रीय बैंक के लिए भविष्य का सटीक अनुमान लगाना कठिन होता है।

इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने प्रमुख ब्याज दर बढ़ाने को लेकर बिना तय कार्यक्रम के बैठक की थी और प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी। अगस्त, 2018 के बाद यह पहला मौका था जब नीतिगत दर बढ़ाई गई।

सुब्बाराव ने कहा कि मौद्रिक नीति का असर देर से होता है, ऐसे में दरों में हाल में की गई वृद्धि से मुद्रास्फीति तुरंत कम होने की संभावना नहीं है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मौद्रिक हालात को मजबूत करने के लिए एमपीसी की गैर-निर्धारित बैठक जैसे जल्दबाजी में उठाए कदम से कई सवाल खड़े हुए हैं।’’

उनसे पूछा गया था कि बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए आरबीआई ने ब्याज दरें पहले ही क्यों नहीं बढ़ा दीं। इस पर सुब्बाराव ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह आलोचना अनुचित है।’’

इस साल अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के सर्वोच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई जबकि मुद्रास्फीति लगातार सातवें महीने भी तेजी से बढ़ी। सरकार ने आरबीआई से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मुद्रास्फीति चार फीसदी (दो फीसदी कम या ज्यादा) बनी रहे।

सुब्बाराव ने कहा कि दुनियाभर के अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई को भी तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हालात और अस्थिरता के बीच ही कदम उठाने होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंकों से भविष्य का सटीक अनुमान लगाने की उम्मीद करना अनुचित है।’’

क्या ब्याज दरें बढ़ाने का वृद्धि पर असर पड़ेगा? इस पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘दरों में बढोतरी से वृद्धि में तेजी प्रभावित होगी और असर कुछ हद तक तो पड़ेगा ही। लेकिन यह कुछ समय के लिए होगा, मध्यावधि तक कीमतों में स्थिरता सतत वृद्धि के लिए सहायक होगी।’’

भाषा

मानसी मनीषा

मनीषा

 

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