रांचीः 100 Percent Discount on Road Tax of EV पेट्रोल-डीजल की तेजी से बढ़ती कीमत को देखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। वही, लोगों का रूझान भी अब इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अधिक दिखने लगा है। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों की सरकार कई तरह की छूट का ऐलान कर रही है। इसी कड़ी में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने वाहनों के रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट देने का ऐलान किया है।
100 Percent Discount on Road Tax of EV मिली जानकारी के अनुसार बुधवार 20 सितंबर को कैबिनेट मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति के लिए मसौदा अधिसूचना जारी करने पर सहमति जताई। झारखंड के उद्योग निदेशक जितेंद्र सिंह, जो ई-वाहन नीति का मसौदा तैयार कर रहे हैं, ने कहा कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन वायु प्रदूषण को कम करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि अब झारखंड को परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन के श्रोतों से निर्भरता को कम कर इलेक्ट्रिक वाहन जैसे स्वच्छ माध्यमों की ओर कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि आज राज्य में कार्बन फुटप्रिंट को कम करना बेहद जरूरी है, नहीं तो आने वाले समय में प्रदूषण से भारी समस्या उत्पन्न होने वाली है।
झारखंड सरकार ने ई-वाहनों के रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर छूट देने का ऐलान तो किया है लेकिन इसके पीछे कुछ नियम व शर्तें भी हैं। जानकारी के अनुसार, 100ः छूट सिर्फ पहले 10,000 ऐसे इलेक्ट्रिक वाहनों पर दिया जो कि झारखंड में बने होंगे। जबकि 10,001 से 15,000 यूनिट ई-वाहनों के रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर छूट 75ः ही होगी। वहीं 15,001 यूनिट से पॉलिसी के समाप्त होने तक बिकने वाले ई-वाहनों के टैक्स पर 25ः ही छूट दी जाएगी। वहीं, राज्य के बाहर बनाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में केवल 25ः की ही छूट लागू होगी। प्रस्तावित ई-वाहन नीति के अनुसार, झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए के लिए राज्य केंद्रित ई-वाहन नीति के लिए मसौदा तैयार किया जा रहा है।
देश में अबतक 20 राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दे दी है, लेकिन झारखंड में अभी इसका मसौदा ही तैयार हो रहा है। अगर झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी मिल भी जाती है तो अभी जो स्थिति है उसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाना चुनौतीपूर्ण ही होगा। कारण यह है कि ई-वाहनों के लिए राज्य में बेसिक प्लेटफॉर्म और अवसंरचना की भारी कमी है। साथ ही अभी तक चार्जिंग स्टेशनों की कोई व्यवस्था प्रदेश में नजर नहीं आ रही है। राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सबसे बड़ी चुनौती इसकी स्वीकार्यता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की कम स्पीड और रेंज के चलते लोग इसे स्वीकार नहीं करना चाहते। हाल ही के दिनों में ई-वाहनों में आग लेन की खबरों ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।