new labour code 2021: इस वर्ष लागू नहीं होंगे नए श्रम कानून, आ रही ये बड़ी अड़चनें

राज्यों द्वारा नियमों का मसौदा बनाने में देरी के चलते चार श्रम संहिताओं का चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कार्यान्वयन मुश्किल नजर आ रहा है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।

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  • Publish Date - September 19, 2021 / 03:20 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:35 PM IST

new labour code 2021 Hindi

नयी दिल्ली, 19 सितंबर । new labour code 2021 : राज्यों द्वारा नियमों का मसौदा बनाने में देरी के चलते चार श्रम संहिताओं का चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कार्यान्वयन मुश्किल नजर आ रहा है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी। सूत्र ने कहा कि श्रम संहिताओं को लागू करने में देरी की एक और वजह राजनीतिक… मसलन उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी है। इन कानूनों का कार्यान्वयन इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इनके लागू होते ही कर्मचारियों के हाथ में आने वाला वेतन घट जाएगा और कंपनियों को ऊंचे भविष्य निधि दायित्व का बोझ उठाना पड़ेगा।

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new labour code 2021 : सूत्र ने बताया कि श्रम मंत्रालय चार संहिताओं के तहत नियमों के साथ तैयार है। लेकिन राज्य नई संहिताओं के तहत इन नियमों को अंतिम रूप देने में सुस्त हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार भी राजनीतिक कारणों से इन संहिताओं को अभी लागू नहीं करना चाहती है। उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में सरकार अभी इन संहिताओं को लागू नहीं करना चाहती है।

संसद द्वारा इन चार संहिताओं को पारित किया जा चुका है। लेकिन केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। उसके बाद ही इन्हें संबंधित क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। सूत्र ने स्पष्ट किया कि इन संहिताओं को चालू वित्त वर्ष में लागू करना संभव नहीं है। एक बार ये संहिताएं लागू होने के बाद मूल वेतन और भविष्य निधि (पीएफ) की गणना के तरीके में बड़ा बदलाव आएगा।

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श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक संबंध, वेतन, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता को एक अप्रैल, 2021 से लागू करना था। इन चार संहिताओं से 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को सुसंगत किया जा सकेगा। मंत्रालय ने इन चार संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। लेकिन कई राज्य इन नियमों को अधिसूचित करने की स्थिति में नहीं हैं ऐसे में इनका कार्यान्वयन अभी संभव नहीं है।

सूत्र ने बताया कि कुछ राज्यों ने चार श्रम संहिताओं के नियमों के मसौदे पर काम किया है। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड शामिल हैं।

नयी वेतन संहिता के तहत भत्तों की सीमा 50 प्रतिशत होगी। इसका मतलब है कि कुल वेतन का आधा कर्मचारियों का मूल वेतन होगा। भविष्य निधि योगदान की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के हिसाब से की जाती है। इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है।